बधिर भी ले सकेंगे फेसबुक लाइव वीडियोज का मजा, जानिए कैसे

क्लोज कैप्शनिंग को 1970 के दशक में विकसित किया गया था। मकसद था कि जो लोग सुन ही नहीं सकते हैं या जिन्हें ऊंचा सुनाई देता है, वे भी टीवी कार्यक्रमों का लुत्फ उठा सकें। मगर, यह पहले की तुलना में अब कहीं अधिक उपयोगी और आवश्यक साबित हो रहा है।

फेसबुक लाइव वीडियोज

खासतौर पर इसलिए क्योंकि श्रवण विकलांग से लोगों की संख्या दुनिया की आबादी की 5 फीसद से यानी करीब 36 करोड़ है। सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक इतनी बड़ी संख्या में यूजर्स को खोना नहीं चाहती है। लिहाजा वह फेसबुक लाइव के साथ क्लोज कैप्शनिंग की शुरूआत कर रही है, ताकि वीडियो में जो बोला जा रहा है, वह लिखकर आए और बधिर लोग भी इसका लुत्फ उठा सकें।

फेसबुक का मानना ​​है कि लोगों को कैप्शन वाले वीडियो से अधिक जानकारी मिलती है और वे वीडियोज के साथ अधिक देर तक जुड़े रहते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि सभी लाइव वीडियोज में क्लोज कैप्शन की सुविधा नहीं होगी क्योंकि यह फेसबुक की कार्यक्षमता पर निर्भर करता है।

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फेसबुक के प्रोडक्ट मैनेजर सुप्रातिक लाहिड़ी ने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि इस लेटेस्ट अपडेट के साथ पब्लिशर लाइव एपीआई का उपयोग कर रहे हैं और अब वे सीईए-608 स्टैंडर्ड क्लोज कैप्शन को इसके साथ जोड़ सकते हैं। इससे बधिर दर्शकों के लिए वीडियो का लुत्फ उठाना संभव हो सकेगा। जिन लोगों के फोन में कैप्शन सेटिंग चालू है, उनके मोबाइल और डेस्कटॉप पर लाइव प्रसारण के दौरान क्लोज कैप्शनिंग दिख सकेगा।

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