फिर बाहर आया बच्चों की जानलेवा बीमारी डिप्थीरिया का जिन्न, कई बच्चे इसकी चपेट में
बच्चों की जानलेवा बीमारी डिप्थीरिया का जिन्न फिर से बाहर आ गया है। इस बीमारी से एक बच्चे की मौत होने की बात सामने आई है। हालांकि, इसका इलाज करने वाला नॉर्थ एमसीडी का महर्षि वाल्मीकि अस्पताल इसके लिए तैयार रहने की बात कह रहा है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम (North Delhi Municipal Corporation) के निदेशक अरुण योदव निदेशक ने जानकारी दी है कि अस्पताल में 25 जून तक इस बीमारी से पीड़ित 11 बच्चे भर्ती हुए। इनमें से 1 की मौत 4 जून को हो गई, जबकि अस्पताल के डॉक्टर इस बात से इनकार कर रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि अभी बीमारी सिर्फ सस्पेक्टेड है, क्योंकि बारिश के बाद यह बीमारी होने की आशंका रहती है। दूसरे राज्यों के कुछ बच्चों को गले मे दर्द और सूजन की शिकायत आने पर उन्हें टीवी अस्पताल में रेफर कर दिया गया लेकिन उसे डिप्थीरिया नही माना जा रहा है। अस्पताल के मुख्य अधीक्षक अनिल साहनी से जब इस बारे में बात करने का प्रयास किया गया तो कोई जवाब नही आया।
गौरतलब है कि इस बीमारी से पिछले साल 20 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। अस्पताल में एंटी डिप्थीरिया सिरम खत्म हो गया था, जिसके चलते यहां के चिकित्सा निदेशक को सस्पेंड भी कर दिया था। अस्पताल में आने वाले ज्यादातर बच्चे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से आये थे जिन्हें डिप्थीरिया का टीका नही दिया गया था। इसके लिए अभिभावकों में जागरूकता की कमी भी मानी गई।
डिफ्थीरिया के कारण
- डिप्थीरिया एक संक्रमण की बीमारी होती है। डिप्थीरिया के जीवाणु मरीज के मुंह, नाक और गले में रहते हैं। डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से आसानी से फैलता है।
- बारिश के मौसम में डिप्थीरिया सबसे ज्यादा नकुसान पहुंचाता है। इस समय इसके जीवाणु सबसे अधिक फैलते हैं।
- डिप्थीरिया के इलाज में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इसमें देरी होने पर जीवाणु पूरे शरीर में तेजी से फैलते हैं।
लक्षण
- डिप्थीरिया के लक्षण संक्रमण फैलने के दो से पांच दिनों में दिखाई देते हैं। स्किन का रंग नीला पड़ने लगता है।
- डिप्थीरिया संक्रमण फैलने पर सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके अलावा गर्दन में सूजन हो सकती है। साथ ही गले में दर्द होता है।
- इसका संक्रमण फैलने के बाद बुखार रहने लगता है। इसके अलावा शरीर हमेशा बेचैन रहता है।
- डिप्थीरिया संक्रमण में खांसी आती है, साथ ही खांसते समय अलग तरह की आवाज आती है।
उपचार
डिफ्थीरिया संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के हाथ में एंटी-टॉक्सिन्स का टीका लगाया जाता है। जिस व्यक्ति को यह टीका लगाया जाता है। टीका लगाने के बाद डॉक्टर एंटी-एलर्जी टेस्ट कर जांच करते हैं कि उसकी त्वचा एंटी-टॉक्सिन के प्रति संवेदनशील तो नहीं है। बता दें कि शुरुआत में एंटी-टॉक्सिन कम मात्रा मे दिया जाता है, लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा को बढ़ा सकते हैं। बच्चे को नियमित टीके लगवाने से जान को खतरा नहीं रहता है। वहीं टीकाकरण के बाद डिप्थीरिया होने की आशंका नहीं रहती है।