प्रतिद्वंदी टीमों की कमियों को ‘हथियार’ बनाकर रची विश्व कप की जीत

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार विश्व कप जीतकर इतिहास रचा, जिसमें ऑलराउंडर स्नेह राणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन किया। स्नेह ने टीम की जीत की रणनीति, चुनौतियों का सामना करने और अपनी व्यक्तिगत यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे प्रतिद्वंद्वी टीमों की कमजोरियों का विश्लेषण कर उन्हें हराया गया। वह टेस्ट क्रिकेट में 10 विकेट लेने वाली पहली भारतीय महिला स्पिनर भी हैं।
महिला वनडे विश्व कप में पहली बार भारतीय टीम के विजेता बनने से पूरे देश में गर्व और उत्साह की लहर है। क्रिकेट जैसे खेले में जब देश की बेटियाें ने ट्राफी हासिल की तो यह खेलप्रेमियों के साथ-साथ हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बना, जिससे समानता और सशक्तिकरण का भी स्पष्ट संदेश गया।
इस सीरीज में भारतीय महिला टीम की ऑलराउंडर सदस्य रही देहरादून की स्नेह राणा ने भी जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने बल्ले के साथ-साथ गेंदबाज में भी कमाल दिखाया। सीरीज के पहले मुकाबले में श्रीलंका के विरुद्ध दो छक्के व दाे चौके की मदद से 28 रन बनाए और दो विकेट भी झटके।
वहीं, दूसरे मैच में भी उन्होंने (Sneh Rana) दो विकेट चटकाए। जबकि 21 साल पहले जब उन्होंने क्रिकेट में हाथ आजमाया था, तब महिलाओं को प्रोत्साहन नहीं मिलता था। लेकिन उनके कड़े संघर्ष, गहरे आत्मविश्वास और बेहतरीन रणनीति ने आज इसे बात को सिरे से खारिज कर दिया।
स्नेह (Sneh Rana on India Won Women’s World Cup 2025) ने कहा कि विश्व कप की जीत में प्रतिद्वंदी टीमों की कमियों को हथियार बनाया गया। उन्होंने 2014 में श्रीलंका के विरुद्ध अपना पहला वनडे और टी-20 मैच खेला था। स्नेह टेस्ट क्रिकेट में 10 विकेट लेने वाली भारत की पहली महिला स्पिनर हैं। दक्षिण अफ्रीका के साथ खेले गए एक टेस्ट में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। स्नेह ने दैनिक जागरण के संवाददाता तुहिन शर्मा से विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
सवाल: भारत महिला क्रिकेट टीम की इस ऐतिहासिक जीत की आप सदस्य हैं। कैसा रहा आपका यह सफर? क्या उतार-चढ़ाव देखने को मिले?
उत्तर: मेरा यह सफर बहुत ही खास रहा। क्योंकि इसमें मेरे घर वालों के साथ-साथ पूरे देश की नजरेें थी। लेकिन हमारी टीम की हर सदस्य ने जरा भी अपने ऊपर नकारात्मकता हावी नहीं होने दी। पूरे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ हमने हर मुकाबले का डट कर सामना किया।
हालांकि बीच में एक साथ तीन मैच हारने के बाद थोड़ा कठिन समय आया था। लेकिन हमने धैर्य बनाए रखा और सधी रणनीति के साथ दोबारा फिर जीत से शुरुआत की। शांति और धैर्य का आलम यह था कि हमारे ड्रेसिंग रूम तक में हमेशा सकारात्मक बातें होती थी। किसी भी खिलाड़ी का आत्मविश्वास जरा भी नहीं डाेला और यही जीत का कारण बना।
सवाल : भारत महिला टीम की इस ऐतिहासिक जीत के पीछे किस तरह की रणनीतियां अपनाई गई? उन पर खरा उतरना के लिए क्या किया गया?
उत्तर : भारतीय टीम के जहन में शुरू से यह बात थी कि इससे पहले दो बार विश्व कप के फाइनल में भारत जगह बना चुका था, लेकिन जीत नहीं मिली थी। बस, इसी प्वाइंट पर सभी ने फोकस किया। हमने प्रतिद्वंदी टीमों के सभी वीडियो देखे। उनकी बालिंग-बैटिंग और खेलने के तरीके पर विशेष ध्यान दिया। उनकी कमियों को बारीकी से देखा। जिसके नोट्स बनाकर हमने कमरों पर चिपकाए। फिर कोच से इस पर राय ली। कोच के अथक प्रयास से हमने कड़ा अभ्यास कर धीरे-धीरे अपनी कमियों को पीछे धकेला। प्रतिद्वंदी टीमों की शानदार ट्रिकों को भी अपनाया। साथ ही उन्हें हराने की रणनीतियां बनाई।
सवाल : आप सेमीफाइनल और फाइनल में मैदान पर नहीं उतरीं, इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे? अब आपका अगला लक्ष्य क्या है?
उत्तर: टीम मैनेजर खिलाड़ियों के स्क्वायड को मैदान में उतारते हैं। हालांकि मैंने क्वार्टर फाइनल तक सभी मुकाबले खेले। क्वार्टर फाइनल मुकाबला वर्चुअल हो गया था। फिल्हाल, तो मैं अभी अपने घर पर रहूंगी। इसके बाद वूमेंस प्रीमियर लीग शुरू होने वाली है।
उसमें आक्शन में नाम आएगा तो जरूर शामिल होंगे। लेकिन अपना रूटीन अभ्यास जारी रहेगा। आईसीसी कप को लेकर तैयारी करती रहूंगी। इस बार जो कुछ कमियां रह गई हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे। ताकि अगले मुकाबलों में और जबरदस्त प्रदर्शन हो सके और फिर से देश का नाम रोशन हो।
सवाल : आपको क्रिकेटर बनने में किसका सहयोग सबसे अधिक किया? अब मैदान में उतरने वाली लड़कियों और महिलाओं के लिए क्या सलाह देंगी?
उत्तर : मुझे क्रिकेटर बनाने में मेरी मां विमला राणा ने हमेशा पूरा सहयोग किया। मेरी बहन रुचि राणा और प्रारंभिक कोच किरण शाह की भी अहम भूमिका रही। वैसे सच कहूं तो सबसे पहले एकेडमी में मेरा दाखिला मेरे पिता स्व. भगवान सिंह राणा ने कराया था।
उन्हें विश्वास था कि मैं क्रिकेट के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाऊंगी, जो कि आज साबित हो रहा है। वहीं, अब आने वाली लड़कियों के सलाह है कि वह किसी भी क्षेत्र में पूरी इमानदारी और लगन के साथ कार्य करें। उनके माता-पिता भी लड़कियों को आजादी दें। जिसका परिणाम भी उन्हें देखने को मिलेगा। आज लड़कियां हर क्षेत्र में आगे हैं।





