पाकिस्तान ने रची ‘काली साजिश’, जम्मू कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए भेज रहा है घातक हथियार
सुरक्षाबलों के सटीक प्रहारों से जम्मू कश्मीर में अंतिम सांसें ले रहे आतंकवाद को फिर पुर्नजीवित करने के लिए पाकिस्तान ने ‘काली साजिश’ रची है। कश्मीर घाटी में हथियारों और अपने काडर की कमी से जूझ रहे आतंकियों तक सीमा पार से रात को हमले करने के लिए घातक व अत्याधुनिक हथियार पहुंचाए जा रहे हैं।
तीन दिन पहले जम्मू के नगरोटा के बन टोल के पास मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकियों से पहली बार अमेरिका निर्मित नाइट विजन एम-4 कारबाइन का मिलना इसका सुबूत है। एम-4 कारबाइन के साथ लेजर प्वायंटर व टेलीस्कोप फिट कर इसे स्नाइपर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इरादा साफ है, पाकिस्तान चाहता है कि रात के अंधेरे में आतंकी छिपकर सुरक्षाबलों पर बार कर भाग सकें। इस बरामदगी के बाद सुरक्षा एजेंसिया सतर्क हो गई हैं।
पाकिस्तान कश्मीर में आतंकियों की कम होती संख्या से हताश
सैन्य सूत्रों के अनुसार, कश्मीर में सक्रिय आतंकी तंजी में जम्मू कश्मीर में आतंकियों की निरंतर कम होती संख्या से हताश हैं। ऐसे में सीमा पार से नाइट विजन एम-4 जैसे हथियार पहुंचाकर आत्मघाती हमलों की जगह सुरक्षित दूरी से वार कर आतंकियों को खुद को बचाने के लिए कहा जा रहा है। इसी रणनीति पर सीमा पर पाकिस्तानी सेना के स्नाइपर सक्रिय हैं। पाकिस्तान चाहता है कि जम्मू कश्मीर के भीतर भी स्नाइपर राइफल से हमले किए जाएं।
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प्लास्टिक में पैक राइफलें पहुंचाई जानी थी कश्मीर :
सूत्रों के अनुसार, सीमा पार कर आए आतंकी नगरोटा में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर आत्मघाती हमला करने नहीं बल्कि घातक हथियारों को कश्मीर तक पहुंचाना चाहते थे। मारे गए आतंकियों के पास तीन-एके राइफलें थी, जबकि एम-4, दो एके 74 राइफलें प्लास्टिक में पैक थी। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये हथियार कश्मीर में किसी आतंकी कमांडर तक पहुंचाए जाने थे। इन आतंकियों से हथियारों व गोला बारूद समेत 53 चीजें बरामद हुई थी। इनमें कई ऐसे हैं, जो पहली बार बरामद हुए हैं। एम-4 कारबाइन, नाइट स्क्रीन, नाइट स्क्रीन बैटरी, ग्लाक 17 पिस्टल, इसकी मैग्जीन, राउंड, एमओडी सीएफ 98 चायनीज ब्लैक स्टार पिस्टल व चायनीज ग्रेनेड व रिमोट कंट्रोल आइईडी मुख्य है। हालांकि पहले भी दो बार एम-4 कारबाइन बरामद हुई है, लेकिन पहली बार नाइट विजन से लैस एम-4 मिली है।
दुश्मन की हर साजिश को नाकाम बनाएंगे :
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दैनिक जागरण को बताया कि कड़े प्रहारों से आतंकवाद की कमर टूट चुकी है, ऐसे हालात में आतंकी बचने की कोशिश में हैं। उनके पास हथियार भी नहीं हैं, ऐसे में सीमा पार से पूरी कोशिश हो रही है कि आतंकवाद को जिंदा रखने के लिए उन तक हथियार पहुंचाएं जाएं। एम-4 कारबाइन इसी कड़ी का एक हिस्सा है, लेकिन हम दुश्मन की ऐसी सभी साजिशों को नाकाम बनाएंगे।
पिछले वर्ष की तुलना में प्रहार तेज :
सूत्रों के अनुसार, कश्मीर घाटी में करीब सवा सौ आतंकी हैं। इस साल जनवरी में 12 मुठभेड़ में 24 आतंकी मारे जा चुके हैं। इस दौरान दो सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए। पिछले वर्ष जनवरी में 19 आतंकी मारे गए थे और दो सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। ऐसे में कहा जा सकता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल सुरक्षाबलों के प्रहार और तेज हुए हैं।