पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर को और शक्ति के संकेत, 27वां सांविधानिक संशोधन करेगी सरकार

पाकिस्तान में सरकार 27वां सांविधानिक संशोधन कर रही है। संविधान में बदलावों के बाद प्रांतीय सरकारों की शक्तियां घटेंगी। खबरों के मुताबिक सरकार जल्द ही सांविधानिक संशोधन संसद में करेगी पेश। जानिए क्या है पूरा मामला

पाकिस्तान सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि वह जल्द ही 27वां सांविधानिक संशोधन संसद में पेश करेगी। इस कदम से देश में यह आशंका पैदा हो गई है कि सरकार प्रांतों की स्वायत्तता को सीमित कर सकती है। संविधान में बदलाव की घोषणा उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने की, जिन्होंने पुष्टि की कि यह संशोधन संसद में लाया जाएगा। डार ने कहा, सरकार 27वां संशोधन लाने जा रही है और इसे संसदीय नियमों, कानूनों और संविधान के अनुरूप पेश किया जाएगा।

इससे पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक पोस्ट में दावा किया था कि सरकार ने इस संशोधन पर समर्थन के लिए उनसे संपर्क किया है। वहीं, विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने संशोधन को लेकर पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए हैं। डार ने आश्वासन दिया कि संशोधन को जल्दबाजी या बिना प्रक्रिया के पारित नहीं किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि प्रस्तावित संशोधन पहले सीनेट में पेश किया जाएगा और फिर दलीय समिति को विचार के लिए भेजा जाएगा। सूत्रों के अनुसार, इस संशोधन के तहत एक सांविधानिक न्यायालय की स्थापना, मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव, सशस्त्र बलों से जुड़ी धारा 243 में संशोधन, प्रांतों के वित्तीय हिस्से में कटौती, और शिक्षा व जनकल्याण मंत्रालयों का नियंत्रण केंद्र सरकार को देने का प्रस्ताव शामिल है।

सरकार के पास सीनेट में नहीं है बहुमत

पीपीपी के वरिष्ठ नेता रजा रब्बानी ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह संशोधन 18वें संशोधन से मिली प्रांतीय स्वायत्तता को कमजोर करेगा। 2010 में पारित 18वें संशोधन ने केंद्र से कई अधिकार प्रांतों को हस्तांतरित किए थे। संविधान में संशोधन पारित करने के लिए सरकार को नेशनल असेंबली (336 सदस्य) और सीनेट (96 सदस्य) दोनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।

सरकार के पास नेशनल असेंबली में पर्याप्त संख्या है, लेकिन सीनेट में उसे बहुमत के लिए कम से कम तीन विपक्षी सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा। पीटीआई नेता हामिद खान ने कहा कि उनकी पार्टी इस संशोधन का विरोध करेगी और संविधान को कमजोर करने की सरकार की कोशिशों को नाकाम बनाएगी।

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