पति-पत्नी में एक जैसी हो सकती हैं मानसिक समस्याएं

एक नई स्टडी के अनुसार, पार्टनर्स में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अक्सर मिलती-जुलती पाई जाती हैं। यदि एक साथी को कोई मानसिक परेशानी है, तो दूसरे में भी उसी या उससे जुड़े डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ जाता है। इसके पीछे समान जीवनशैली, तनाव और एक जैसे साथी चुनने जैसे कारण हो सकते हैं।

हमारा सबसे गहरा रिश्ता हमारे जीवनसाथी के साथ होता है। इनके साथ हम अपने जीवन के सुख-दुख सबकुछ साझा करते हैं। ऐसे में एक-दूसरे की मानसिक स्थिति को समझना काफी आम बात है। लेकिन हाल ही में हुई एक ताजा स्टडी इसे और गहराई से देखती है।

यह स्टडी ‘नेचर ह्यूमन बिहेवियर’ में पब्लिश हुई, जिसमें पाया गया कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं एक जैसी या मिलती-जुलती पाई जा सकती हैं। यानी अगर एक पार्टनर को कोई मानसिक परेशानी है, तो दूसरे में भी उसी या उससे जुड़े किसी डिसऑर्डर का रिस्क बढ़ जाता है।

ऐसे में भारत में जहां रिश्ते और शादी जीवन का अहम हिस्सा माना जाता है, यह स्टडी काफी अहम साबित हो सकती है। इसलिए यह समझना जरूरी है कि रिलेशनशिप में रहते हुए कैसे अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल रख सकते हैं। आइए जानें।

क्यों होता है ऐसा?

पार्टनर्स में मानसिक लक्षणों के मिलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे-

एक जैसी लाइफस्टाइल और स्ट्रेस- पार्टनर्स एक ही वातावरण में रहते हैं, फाइनेंशियल स्ट्रेस, पारिवारिक जिम्मेदारियां और रोजमर्रा के तनाव दोनों को प्रभावित कर सकते हैं।

एक जैसी क्वालिटी वाले पार्टनर चुनना- अक्सर लोग ऐसे साथी चुनते हैं जो स्वभाव या सोच में उनके जैसे हों। ऐसे में अगर एक को मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, तो दूसरे में भी उसके लक्षण मौजूद हो सकते हैं।

स्टिग्मा और लिमिटेड ऑप्शन- मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण व्यक्ति का साथी चुनने का दायरा सीमित हो सकता है, जिससे समान स्थितियों वाले लोग एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं।

रिलेशनशिप में मेंटल हेल्थ का ख्याल कैसे रखें?

जागरूकता और बातचीत- सबसे पहले, मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करें। अगर एक पार्टनर स्ट्रेस, डिप्रेशन या एंग्जायटी महसूस कर रहा है, तो दूसरे को भी सजग रहना चाहिए। छोटे-छोटे बदलावों को नजरअंदाज न करें।

समय पर मदद लेना- भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आज भी कई तरह के स्टिग्मा हैं, लेकिन जरूरी है कि समस्या बढ़ने से पहले ही काउंसलर या मनोचिकित्सक से सलाह ली जाए। दोनों पार्टनर्स का एक साथ परामर्श लेना फायदेमंद साबित हो सकता है।

एक-दूसरे की मदद- रिश्ते की मजबूती सहयोग से बनती है। अगर एक पार्टनर मुश्किल दौर से गुजर रहा है, तो दूसरे का साथ और समर्थन उसे जल्दी ठीक होने में मदद कर सकता है। सुनें, समझें और साथ दें।

मी टाइम और सेल्फ केयर- रिश्ते में खुश रहने के लिए खुद का ख्याल रखना भी जरूरी है। दोनों पार्टनर्स को अपने लिए समय निकालना चाहिए, जैसे- एक्सरसाइज, कोई हॉबी या मेडिटेशन। इससे स्ट्रेस कम होगा और रिश्ता भी बेहतर बनेगा।

परिवार में पॉजिटिव माहौल बनाएं- बच्चों पर भी माता-पिता के मानसिक स्वास्थ्य का असर पड़ता है। इसलिए, स्वस्थ रिश्ते और पॉजिटिव माहौल न सिर्फ पार्टनर्स, बल्कि पूरे परिवार के लिए फायदेमंद होता है।

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