पंजाब में घटी गरीबी: शहरों में 17.6 नहीं, सिर्फ 2.6% लोग गरीब, गांवों में भी सुधार…

पंजाब में गरीबी के पैमाने में भी बदलाव आया है। वर्ष 2011-12 में ग्रामीण गरीबी रेखा 1127 और शहरी गरीबी रेखा 1479 रुपये प्रति व्यक्ति हर माह थी। वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर ग्रामीण इलाकों में 2048 और शहरी क्षेत्रों में 2622 रुपये हो गई है।

पंजाब में पिछले एक दशक के दौरान गरीबों की संख्या घटी है। अब शहरों में सिर्फ 2.6 फीसदी लोग ही गरीब हैं। इसी तरह गांवों में भी सुधार हुआ है।

ग्रामीण इलाके में वर्ष 2011-12 में 7.4 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे थे लेकिन वर्ष 2022-23 में सिर्फ 0.6 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे रह गए हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की रिपोर्ट में यह सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011-12 के दौरान शहरों में 17.6 फीसदी लोग गरीबी के रेखा के नीचे थे लेकिन वर्ष 2022-23 में गरीबी में रिकॉर्ड स्तर की गिरावट दर्ज की गई है। सिर्फ 2.6 फीसदी ही लोग ही गरीबी रेखा के नीचे रह गए हैं।

पंजाब में अब असमानता दूर हो रही है और साथ ही लोगों की प्रति व्यक्ति मासिक खपत भी बढ़ रही है जिसका सीधा असर सुधार के रूप में मिल रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें समावेशी विकास और गरीबों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने वाले नीतियां बनाकर भी गरीबी उन्मूलन के लिए काम कर रही हैं जिसके अच्छे नतीजे मिल रहे हैं।

अब गरीबी के पैमाने में भी आया बदलाव
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में गरीबी के पैमाने में भी बदलाव आया है। वर्ष 2011-12 में ग्रामीण गरीबी रेखा 1127 और शहरी गरीबी रेखा 1479 रुपये प्रति व्यक्ति हर माह थी। वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर ग्रामीण इलाकों में 2048 और शहरी क्षेत्रों में 2622 रुपये हो गई है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में कोई व्यक्ति 2048 रुपये से कम प्रति माह खर्च करता है, तभी उसे गरीब माना जाएगा। इससे साफ है कि गरीबी का पैमाना बदलने के बावजूद गरीबों की संख्या में कमी हो रही है। मुफ्त राशन, रोजगार गारंटी व अन्य सरकारी योजनाओं ने गरीब लोगों की स्थिति में सुधार में अहम भूमिका निभाई है।

पड़ोसी राज्य में भी पहले से सुधार
पड़ोसी राज्यों में भी पहले से सुधार हो रहा है। हरियाणा में वर्ष 2011-12 के दौरान गांवों में 11 फीसदी, जबकि वर्ष 2022-23 में सिर्फ 4.1 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे रह गए हैं। इसी तरह शहरों में वर्ष 2011-12 के दौरान 15.3 फीसदी जबकि अब सिर्फ 4.3 प्रतिशत लोग ही गरीबी रेखा नीचे रह गए हैं। डीएवी कॉलेज अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर बिमल अंजुम ने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी दर लगभग समाप्त हो गई है। शहरी क्षेत्रों में भी गरीबी दर बहुत कम है। इसका श्रेय कृषि उत्पादन, उद्योग और सरकारी योजनाओं को जाता है। गरीबी कम होने के बावजूद प्रदेश के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। इसमें बेरोजगारी, नशा, किसानों की आय बढ़ाना और आर्थिक असमानता शामिल हैं।

मुफ्त राशन योजना से भी बाहर, घर में गाड़ी व एसी है तो नहीं मिलेगा राशन
इसी का नतीजा है कि प्रदेश में अधिकतर लोग मुफ्त राशन योजना से भी बाहर हो रहे हैं। हाल ही में सरकार ने इसे लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके तहत प्रदेश में जिस किसी भी घर में गाड़ी, एयर कंडीशनर (एसी) या फिर परिवार के किसी भी सदस्य के पास 2.5 एकड़ भूमि है तो उन्हें मुफ्त राशन का लाभ नहीं मिलेगा। पंजाब में फिलहाल 1.52 करोड़ लाभार्थी हैं जिन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त गेहूं मिलता है। इनमें से अब 10.28 लाख लाभार्थियों को मुफ्त राशन से हाथ धोना पड़ सकता है।

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