पंजाब के दर्शनीय पर्यटन स्थल : जानेंगे तो जाने से रोक नहीं पाएंगे अपने आप को
देश का सबसे छोटा राज्य होने के बाबजूद भी पंजाब समृद्धि में आगे है। पंजाब शब्द फारसी के दो शब्द ‘पंज आब’ का अर्थ है, ‘जल’। पंजाब की पहचान पांच नदियों की जमीन और इसके पकवानों, इतिहास और संस्कृति की चकित कर देने वाली विविधता के लिए है। चमकदार हरी उर्वर खेती की जमीन, पानी की झिलमिलाहट, आकाश में नीले रंग के विभिन्न प्रकार आपको कभी खत्म न होने वाले जीवंत अनुभव का अहसास कराते हैं।
हरे-भरे खेतों वाले सुंदर राज्य पंजाब या पांचाल को किसी ने सही ही नाम दिया है- भारत की मुस्कराती आत्मा। रावी, बीज, सतलज, चेनाब और झेलम जैसी राजसी नदियों के पानी से सिंचित उर्वर धरती और उसके ईर्द-गिर्द की प्राकृतिक सुंदरता साफ झलकती है। इस तरह पंजाब के पास दुनियाभर के पर्यटकों को देने के लिए काफी कुछ है।
भारत में आर्यों के आगमन के समय से पंजाब का इतिहास मिलता है। ई पू. 522 में फारस के शासक डेरियस ने पंजाब के आस-पास के इलाके को जीत लिया और उसे फारस का एक अधीनस्थ भाग बना लिया। बाद के वर्षो में इस पर मौर्य, यूनानी, शक, कुषाण, गुप्त आदि अनेक शासको ने शासन किया और उनका पतन हुआ। मध्यकाल में पंजाब मुसलमानों के अधीन रहा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पंजाब को विभाजन की विभीषिका का सामना करना पड़ा। पूर्वी पंजाब की अनेक रियासतों को मिलाकर एक राज्य पेप्सू का निर्माण किया गया। पटियाला इसकी राजधानी बनाई गयी।
पंजाब की चमत्कारी धरती पर उत्साही, सक्रिय और हमेशा खुश रहने वाले लोग रहते है। जो आपका खुली बांहों और चेहरे पर मुस्कान से स्वागत करते हैं। पुरुष सतरंगी पगड़ियां पहनते हैं, वहीं महिलाएं बहुरंगी परिधान, चूड़ियां, रिबन और दुपट्टे पहनती हैं। यहां का संगीत भांगड़ा भी इस रंगबिरंगी और जिंदादील संस्कृति को और बढ़ा देता है।
कृषि यहां के लोगों का सबसे बड़ा व्यवसाय है। पंजाब ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा सिक्ख पाएं जाते है। पंजाब में कई उद्योग जैसे मशीन टूल, टेक्सटाइल, सिलाई मशीन, खेल के सामान, स्टार्च, पर्यटन, उर्वरक, साइकिल, चीनी और वस्त्र आदि चलाएं जाते है। पंजाब में कृषि वस्तुओं, वैज्ञानिक उपकरणों और बिजली के सामान भी बनाएं जाते है।
राज्य के आकर्षक शहर इसके पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ते हैं। इनमें शामिल हैं- मनमोहक स्मारक, गुरुद्वारे, पवित्र देवस्थल, मंदिर, आश्रम, चौड़ी झीलें, अभयारण्य जो संग्रहालय और प्रवासी पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियों व जानवरों के घर हैं। पर्यटकों के लिए प्राचीन सभ्यता, समृद्ध संस्कृति, मुंह में पानी ला देने वाले पकवानों और बेहतरीन खरीदारी के लिए यह एक आदर्श पर्यटन स्थल है।
पंजाब के पर्यटन स्थल की सूची
1). स्वर्ण मंदिर
स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब या दरबार साहिब भी कहा जाता है। इसके आस पास के सुंदर परिवेश और स्वर्ण की पर्त के कारण ही इसे स्वर्ण मंदिर कहते हैं। यह अमृतसर (पंजाब) में स्थित सिक्खों का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। यह मंदिर सिक्ख धर्म की सहनशीलता तथा स्वीकार्यता का संदेश अपनी वास्तुकला के माध्यम से प्रदर्शित करता है, जिसमें अन्य धर्मों के संकेत भी शामिल किए गए हैं। दुनिया भर के सिक्ख अमृतसर आना चाहते हैं और श्री हरमंदिर साहिब में अपनी अरदास देकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करना चाहते हैं।
2). जामा मस्जिद खरउद्दीन
जामा मस्जिद खरउद्दीन पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में गांधी गेट के नज़दीक हॉल बाज़ार में स्थित है। इसका निर्माण मोहम्मद खरीउद्दीन ने सन 1876 ई. में करवाया था। नमाज़ के समय यहाँ बहुत भीड़ होती है। इस समय इसका पूरा प्रागंण नमाजियों से भरा होता है। उचित देखभाल के कारण भारी भीड के बावजूद इसकी सुन्दरता में कोई कमी नहीं आई है। यह मस्जिद इस्लामी भवन निर्माण कला की जीती जागती तस्वीर पेश करती है, मुख्य रूप से इसकी दीवारों पर लिखी आयतें।
3). दुर्गियाना मंदिर
दुर्गियाना मंदिर पंजाब के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से है, जो अमृतसर में स्थित है। दुर्गियाना मंदिर का नाम देवी दुर्गा के नाम पर रखा गया है और दुर्गियाना मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर का मंदिर भी कहा जाता है। दुर्गियाना मंदिर अपनी नक़्क़ाशीदार चांदी के दरवाज़े के लिए रजत मंदिर के रूप में भी प्रसिद्ध है। मंदिर परिसर में सीता माता और बारा हनुमान जैसे कुछ ऐतिहासिक मंदिर हैं।
4). जलियांवाला बाग
जलियाँवाला बाग़ अमृतसर, पंजाब राज्य में स्थित है। इस स्थान पर 13 अप्रैल, 1919 ई. को अंग्रेज़ों की सेनाओं ने भारतीय प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलाकर बड़ी संख्या में उनकी हत्या कर दी। इस हत्यारी सेना की टुकड़ी का नेतृत्व ब्रिटिश शासन के अत्याचारी जनरल डायर ने किया। जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड आज भी ब्रिटिश शासन के जनरल डायर की कहानी कहता नज़र आता है, जब उसने सैकड़ों निर्दोष देशभक्तों को अंधाधुंध गोलीबारी कर मार डाला था। वह तारीख आज भी विश्व के बड़े नरसंहारों में से एक के रूप में दर्ज है।
5). वाघा बॉर्डर
अमृतसर से 28 किलोमीटर दूर स्थित वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान को अलग करती है। ध्वजों को नीचे उतारने का रोज होने वाला समारोह प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। दोनों देशों के सैनिक इस समारोह को अंजाम देते हैं। भारत का सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान का पाकिस्तान रेंजर्स।
6). शीश महल
भारत की मुस्कराती आत्मा कहलाने वाला पंजाब बगीचों और किलों के शहरों वाला राज्य भी है। पंजाब के आलीशान महल टेढ़े-मेढ़े खेतों और भव्य मंदिरों की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। शीश महल भी पटियाला में ऐसा ही एक अति-सुंदर महल है, जो तत्कालीन महाराजाओं की भव्य जीवनशैली को दिखाता है।
7). गुरुद्वारा आनंदपुर साहिब
सिख धर्म के पवित्र संदेश की व्याख्या करता आनंदपुर साहिब चंडीगढ़ के उत्तर-पश्चिम हिस्से में स्थित है। खालसा की जन्मस्थली के तौर पर इस जगह का धार्मिक महत्व है। समझा जाता है कि श्री गुरु तेग बहादुर जी ने 1664 में इसी जगह पर जन्म लिया था।
8). हरमंदिर साहिब
अमृतसर में हरमंदिर साहिब को ही गोल्डन टेम्पल या स्वर्ण मंदिर के तौर पर जाना जाता है। इसे श्री दरबार साहिब के तौर पर भी जाना जाता है। यह गुरुद्वारा अमृतसर के मध्य भाग में स्थित है। हरमंदिर साहिब अमृत सरोवर के पानी से घिरे एक आयताकार प्लेटफार्म पर स्थित है। इसी झील के नाम पर शहर को अमृतसर नाम मिला है।
हरमंदिर साहिब की स्थापत्य कला हिंदू और मुस्लिम शैली का मिश्रण है। यह संगमरमर का दो मंजिला ढांचा है। हरमंदिर साहिब तक गुरु के सेतु से होकर पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर की ऊपरी मंजिल सोने से ढंकी है। इस पर ताज के तौर पर सुनहरा गुंबद है। सुनहरा गुंबद उल्टे रखे कमल के आकार का ढांचा है।
9). डेरा बाबा नानक
डेरा बाबा नानक पंजाब के गुरुदासपुर के पश्चिम में 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यह रावी नदी के बाएं किनारे पर स्थित पर है। महान गुरु नानक देव जी ने अपनी जिंदगी के अंतिम 12 वर्ष यहीं पर बिताए थे। इसी वजह से इसे डेरा बाबा नानक के तौर पर जाना जाता है। यह जगह गुरु नानक जी का आवास रहा है। वह नदी किनारे ही ध्यान लगाया करते थे। आज उनकी याद में इस जगह पर खूबसूरत गुरुद्वारा खड़ा है। .
10). गोइंदवाल साहिब
सिखों के धार्मिक तीर्थस्थलों के संबंध में गोइंदवाल शहर महत्वपूर्ण है। यह शहर अमृतसर के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है। सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर। गोइंदवाल शहर में कुछ महत्वपूर्ण गुरुद्वारे हैं। उनमें गोइंदवाल साहिब सबसे महान है। पंजाब में गोइंदवाल साहिब गुरुद्वारा राज्य का गर्व है। सबसे बड़ा तीर्थ स्थल और पर्यटन केंद्र भी।
11). पुष्पा गुजराल साइंस सिटी
पुष्पा गुजराल साइंस सिटी जालंधर-कपूरथला मार्ग पर 72 एकड़ क्षेत्रफल में फैली है। यह उत्तरी भारत के सबसे बड़े साइंस पार्क में से एक है। यह प्रोजेक्ट सरकारी सहयोग से अस्तित्व में आया है। जिसने 70 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि इसके लिए रखी है। .
12). गुरुद्वारा किरतपुर साहिब
गुरुद्वारा किरतपुर साहिब की स्थापना 1627 में छठे सिख गुरु श्री हर गोबिंद साहिब ने की थी। वह भी पंजाब में शिवालिक पर्वत शृंखला की तलहटी पर बसे छोटे शांतिपूर्ण शहर में। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्ष किरतपुर में ही बिताए थे। यह जगह सतलज नदी के किनारे स्थित है। आज यह जगह रोपड़ जिले में है। इस पवित्र जगह का अन्य सिख गुरुओं से भी गहरा नाता रहा है। सातवें सिख गुरु, गुरु हर राय और आठवें सिख गुरु, गुरु हर किशन देव जी यहीं पर जन्मे और बड़े हुए। यहां तक कि पहले गुरु, गुरु नानक जी भी अपने जीवनकाल में इस जगह पर आए थे, ऐसा बताया जाता है। यह जगह प्रसिद्ध मुस्लिम संत पीर बुद्दन शाह की यादों के लिए भी जानी जाती है, जिन्होंने यहां लंबा वक्त गुजारा।
13). केपिटल कॉम्प्लेक्स
केपिटल कॉम्प्लेक्स चंडीगढ़ में स्थित है। इस परिसर के भययोग्य डिजाइन करने के लिए श्रेय “ली कोर्बूजिए” जाता है| केपिटल कॉम्प्लेक्स में हरियाणा और पंजाब के अनेक प्रशासनिक भवन हैं। केपिटल कॉम्प्लेक्स समकालीन वास्तुशिल्प का एक बेहतरीन उदाहरण है।