पंचकल्याणक महोत्सव का तीसरा दिन तप कल्याणक के रूप में संपन्न

श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र में जैसवाल जैन समाज द्वारा आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव का तीसरा दिन तप कल्याणक के रूप में श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण रहा। सुबह से ही सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में पहुंचकर दिनभर चलने वाले विविध धार्मिक आयोजनों में भाग लिया।
सवेरे भगवान के अभिषेक एवं नित्य महापूजन कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसके बाद जन्म कल्याणक पूजा तथा हवन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर सभी मूर्तियों को रेशमी वस्त्रों और आभूषणों से अलंकृत किया गया। ये वस्त्र दीक्षा के समय वस्त्रमोचन हेतु सुरक्षित रखे गए हैं। इसके पश्चात परम पूज्य आचार्य श्री वसुनंदी जी महाराज ने तप कल्याणक की महत्ता पर गूढ़ प्रवचन दिए। उन्होंने कहा भगवान आदिनाथ ने जब वैभव का त्याग कर वैराग्य अपनाया, तभी आत्मा को शुद्धि का मार्ग मिला। जीवन में संयम और तप का अनुसरण आवश्यक है।
इसके बाद दोपहर में घटयात्रा निकाली गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने कलश लेकर भव्य शोभायात्रा में भाग लिया। नवीन मंदिर की शुद्धि एवं वेदी संस्कार विधिवत संपन्न होने के बाद महाराज नाभिराय का दरबार सजा और भगवान आदिनाथ का बाल स्वरूप में राज्याभिषेक संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में असि, मसि, कृषि के प्रदर्शन ने शासन-व्यवस्था का चित्रण किया और नीलांजना के भा
व-नृत्य ने वैराग्य की गाथा को जीवंत किया। भगवान आदिनाथ द्वारा भरत व बाहुबली को राज्य सौंपकर दीक्षा हेतु प्रस्थान करने की कथा ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। दीक्षा विधि में अंकन्यास, संस्कार रोपण और पूजा-अर्चना की समस्त प्रक्रिया श्रद्धा और विधिपूर्वक पूरी की गई। यज्ञ मंडप में दीप आराधना के साथ वातावरण शुद्ध हो गया।
शाम को चक्रवर्ती श्री शांतिनाथ जी की भव्य दिग्विजय यात्रा निकाली गई, जो केसरगंज मंदिर से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होती हुई मंदिर परिसर लौटी। पारंपरिक बैंड-बाजों और झांकियों ने यात्रा को आकर्षक बनाया। आज रात शांतिनाथजी की राज्य सभा एवं मंगल आरती के कार्यक्रम आयोजित होंगे।