‘नीतीश बनाम तेजस्वी’ हुआ बिहार चुनाव, कितनी चुनौती दे पाएंगे राजद नेता

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया है। इसके बाद बिहार का पूरा चुनाव ‘नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव’ के मुद्दे पर केंद्रित हो गया है। अब जनता के सामने स्पष्ट विकल्प होगा कि वह लगभग 20 वर्षों से बिहार में ‘विकास और सुशासन’ का चेहरा बनकर उभरे नीतीश कुमार को चुनती है, या नीतीश की तुलना में बेहद युवा चेहरे तेजस्वी यादव उसकी पसंद बनते हैं। भाजपा ने आरोप लगाया है कि तेजस्वी यादव अपने पिता लालू यादव की भ्रष्टाचार वाली राजनीति की विरासत संभालते हुए आगे बढ़ रहे हैं और अभी भी आईआरसीटीसी घोटाले के प्रमुख आरोपी हैं। पार्टी ने दावा किया है कि बिहार की जनता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर कभी स्वीकार नहीं करेगी।
तेजस्वी ने दिखाई ताकत
तेजस्वी यादव राजद के युवा चेहरा हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने लगभग अकेले दम पर पूरा चुनाव प्रचार किया और राजद को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सफलता दिलाई। उनकी राजनीतिक रैलियों में उमड़ी युवाओं की भीड़ उनकी लोकप्रियता का बड़ा पैमाना बन गई। उनकी छवि के सहारे ही कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने भी पिछले चुनाव में अच्छी सफलता हासिल की। पिछली बार राजद गठबंधन सरकार बनाने से भले ही चूक गया, लेकिन तेजस्वी यादव ने यह एहसास करा दिया था कि वे एक बड़े नेता के तौर पर स्थापित होने की कूवत रखते हैं।
भ्रष्टाचार में आरोपी होने के बाद बदली स्थिति
लेकिन इस चुनाव में तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार से मुकाबला कुछ बदली हुई परिस्थितियों में होने जा रहा है। चंद दिनों पहले ही दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें आईआरसीटीसी घोटाले में प्रमुख आरोपी माना है। उनके ऊपर केस दर्ज हो गया है और अब वे इस केस का सामना करेंगे। भूमि के बदले सरकारी नौकरी देने के मामले में भी लालू परिवार दोषी है। भाजपा और एनडीए का पूरा खेमा इस मोर्चे पर तेजस्वी यादव को घेरने का काम करेगा और महागठबंधन को भी इन सवालों का जवाब देना आसान नहीं होगा।
गठबंधन में ही नहीं बनी एकता
गुरुवार की प्रेस कांफ्रेंस में महागठबंधन ने अपने एक होने का दावा अवश्य किया, लेकिन यह सच्चाई जनता के सामने है कि चुनाव के बिल्कुल अंतिम क्षणों तक महागठबंधन में सीटों पर रार ठनी रही। झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे राजनीतिक दलों से तनातनी कभी समाप्त नहीं की जा सकी। कांग्रेस ने अंतिम क्षणों तक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर अपनी स्वीकार्यता नहीं दी। दोनों दलों के उम्मीदवार कई सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोंकते हुए दिखाई दे सकते हैं। ऐसे में तेजस्वी यादव को महागठबंधन के स्वीकार्य नेता के तौर पर जनता के बीच स्थापित करना कठिन होगा।
नीतीश कुमार की ताकत उनकी छवि, लेकिन ये सवाल बाकी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को कथित जंगलराज से बाहर निकालने का काम किया है। उन्होंने बिहार को विकास और सुशासन के रास्ते पर चलाया है। महिलाओं, पिछड़ों और दलितों-महादलितों के लिए किए गए उनके कामों का ही परिणाम है कि आज भी बिहार में उनकी छवि को आज तक कोई चुनौती नहीं दे पाया है। मुसलमानों के एक वर्ग में भी उनकी पकड़ बरकरार है।
लेकिन इसके बाद भी नीतीश कुमार के चेहरे पर भी कुछ सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल उनके स्वास्थ्य को लेकर है। कभी भाजपा तो कभी आरजेडी ने आरोप लगाया है कि वे अब सत्ता संभालने के काबिल नहीं हैं। चुनाव बाद वे मुख्यमंत्री होंगे या नहीं, इस पर एनडीए बहुत मुखर होकर सामने नहीं आया। हालांकि, नीतीश के चेहरे पर सवाल खड़े होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान ने खुलकर उन्हें एनडीए का सीएम उम्मीदवार बताकर इस विवाद को शांत करने की कोशिश की है।
नीतीश विकास के प्रतीक, तेजस्वी भ्रष्टाचार की राजनीतिक वंशज- भाजपा
भाजपा प्रवक्ता एसएन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की आपस में कोई तुलना नहीं हो सकती। नीतीश कुमार का एक लंबा राजनीतिक जीवन है। उन्होंने अपने जीवन में कभी भ्रष्टाचार और परिवारवाद का संरक्षण नहीं किया, लेकिन तेजस्वी यादव के पास आज केवल यही राजनीतिक पूंजी है कि वे लालू यादव के बेटे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार संघर्ष और अनुभव से निकले नेता हैं, जबकि तेजस्वी यादव लालू के पुत्र होने के कारण नेता बने हुए हैं। ऐसे दो नेताओं के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती।
एसएन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार को विकास की पटरी पर दौड़ाने का काम किया है, जबकि लालू यादव ने बिहार को केवल भ्रष्टाचार और परिवारवाद की राजनीतिक घुट्टी पिलाई है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव इस समय भी आईआरसीटीसी घोटाले के प्रमुख आरोपी हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ऐसे व्यक्ति को कभी अपना नेता नहीं बनाएगी जिसके कुछ ही दिन बाद जेल जाने की संभावना हो।
बारात लौटने के बाद तेजस्वी बन रहे दूल्हा- जदयू
जदयू नेता सत्यप्रकाश मिश्रा ने अमर उजाला से कहा कि तेजस्वी यादव को अब मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना वैसा ही है जैसे बारात के लौट जाने के बाद किसी को दूल्हा बनाना। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने 20 साल से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद के रूप में स्वीकार कर चुकी है। इस बार भी वह अपना आशीर्वाद देने का मन बना चुकी है। लेकिन अब तक गठबंधन न कर पाने वाली कांग्रेस अब तेजस्वी यादव को भी लुटाने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जनता के बीच कोई संशय नहीं है और एनडीए के सभी नेताओं ने एक सुर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बता दिया है। ऐसे में जनता के पास स्पष्ट विकल्प है।
विपक्ष ने कहा
इसके पहले पटना में महागठबंधन की प्रेस कांफ्रेंस में सभी विपक्षी दलों ने एकता का राग अलापा। वामदलों के नेता दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी सहित सभी नेताओं ने एकजुट रहते हुए चुनाव लड़ने की बात कही। विपक्षी दलों के नेताओं ने दावा किया कि वे एक रहते हुए चुनाव लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे। वीआईपी नेता मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताकर गहलोत ने दूसरे वर्गों की भावनाओं को भी संतुष्ट करने की कोशिश की है। कोई विवाद न रहे, इसे देखते हुए बाद में और उपमुख्यमंत्री बनाने की बात भी कह दी है। इससे अब कोई विवाद उठने से रोका जा सकेगा।
महागठबंधन के खेवनहार बनकर पटना पहुंचे कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि इस समय देश के हालात बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि इस समय देश का लोकतंत्र खतरे में है और केवल विपक्ष पर झूठे आरोप लगाकर राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में आगे बढ़ाने का निर्णय किया है।