नवरात्र में भूल से भी साबूदाना न खाएं ये 5 लोग, सेहत को हो सकती है परेशानी

नवरात्र हो या कोई और व्रत इस दौरान साबूदाना हमारे खाने का एक अहम हिस्सा बन जाता है। साबूदाने की खिचड़ी वड़ा और खीर ये सभी व्यंजन व्रत में खाए जाते हैं। हालांकि ये स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के साथ-साथ कुछ लोगों के लिए परेशानी का कारण भी बन सकते हैं (Sabudana Health Risks)। आइए जानें किन लोगों को साबूदाना का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।

शारदीय नवरात्र के पावन दिनों में ज्यादातर लोग व्रत रखते हैं और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। व्रत के दौरान हल्का और सात्त्विक भोजन करना एक परंपरा का हिस्सा है, ताकि शरीर को एनर्जी तो मिले लेकिन पाचन पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। ऐसे समय में साबूदाना सबसे ज्यादा खाया जाता है। चाहे साबूदाने की खिचड़ी हो, वड़ा हो या खीर- यह व्रत का लोकप्रिय भोजन है।

बता दें, साबूदाना स्टार्च से भरपूर होता है और इंस्टेंट एनर्जी देने का काम करता है। इसमें कुछ मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन भी पाए जाते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट मानते हैं कि हर किसी के लिए यह बेस्ट नहीं है (Sabudana Health Risks)। खासतौर पर जिन लोगों को पहले से कुछ हेल्थ प्रॉब्लम्स हैं, उनके लिए साबूदाना नुकसानदायक साबित हो सकता है।

आइए जानते हैं किन 5 तरह के लोगों को नवरात्र में साबूदाना खाने से बचना चाहिए (Who Should Avoid Sabudana)-

किडनी की समस्या वाले लोग
जिन लोगों को किडनी से जुड़ी बीमारियां हैं या जिन्हें किडनी स्टोन की समस्या है, उन्हें साबूदाना नहीं खाना चाहिए। इसमें मौजूद कैल्शियम किडनी स्टोन को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, इसमें फाइबर बहुत कम होता है और स्टार्च ज्यादा होता है, जिससे कमजोर किडनी पर और दबाव पड़ता है। ऐसे लोग व्रत में साबूदाने की जगह सामक चावल या समा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आसानी से पचते हैं और किडनी पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालते।

डायबिटीज के मरीज
साबूदाने में कार्बोहाइड्रेट बहुत ज्यादा होता है और यह ब्लड शुगर लेवल को तुरंत बढ़ा देता है। चूंकि इसमें फाइबर और प्रोटीन कम होता है, इसलिए शुगर का लेवल नियंत्रित नहीं रह पाता। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह और भी खतरनाक हो सकता है, खासकर जब वे व्रत के कारण पहले ही अलग खानपान कर रहे हों। ऐसे लोगों के लिए राजगीरा आटा या कुट्टू जैसे विकल्प बेहतर हैं, जो धीरे-धीरे ऊर्जा देते हैं और शुगर को अचानक बढ़ने नहीं देते।

कमजोर पाचन वाले लोग
भले ही साबूदाना नरम और हल्का दिखाई देता है, लेकिन जिनका पाचन कमजोर है उनके लिए यह परेशानी पैदा कर सकता है। इसमें स्टार्च की अधिकता और फाइबर की कमी गैस, कब्ज और पेट फूलने जैसी दिक्कतें बढ़ा सकती है। व्रत के दौरान जब पाचन तंत्र सामान्य दिनों से थोड़ा धीमा हो जाता है, तो यह समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। ऐसे लोगों को समा के चावल या पपीता जैसे हल्के और पचने में आसान फूड आइटम्स चुनने चाहिए।

लो ब्लड प्रेशर वाले लोग
साबूदाने में पोटैशियम होता है, जो सामान्य रूप से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करता है, लेकिन जिन लोगों का ब्लड प्रेशर पहले से ही कम रहता है, उनके लिए यह और ज्यादा गिर सकता है। इसका असर चक्कर आना, कमजोरी या बेहोशी तक हो सकता है। व्रत में लो बीपी वाले लोगों को नमक और पानी से भरपूर चीजें खानी चाहिए ताकि इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बना रहे।

वजन घटाने की कोशिश कर रहे लोग
अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो साबूदाना आपके लिए सही विकल्प नहीं है। इसमें कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट बहुत ज्यादा होते हैं, लेकिन फाइबर और प्रोटीन कम होते हैं। इसका मतलब है कि इसे खाने के थोड़ी देर बाद ही आपको दोबारा भूख लग सकती है। इससे ओवरईटिंग और वजन बढ़ने का खतरा रहता है। वजन घटाने वाले लोगों को कुट्टू या राजगिरा जैसे अनाज अपनाने चाहिए, जो ज्यादा देर तक पेट भरा रखते हैं और शरीर को संतुलित ऊर्जा देते हैं।

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