दो हिस्सों में बंटने लगा है अफ्रीका महाद्वीप, धरती पर नए महासागर का हो रहा निर्माण

एक रिसर्चर वैज्ञानिक डॉ. रोसालिया नेवे ने एविडेंस नेटवर्क में लिखे एक लेख में बताया है कि पूर्वी अफ्रीका में महाद्वीप के टूटने के निशान नजर आने लगे हैं। उन्होंने इस विभाजन को ‘ग्रेट रिफ्ट वैली’ बताया है।
अफ्रीका महाद्वीप में घटी घटना ने दुनियाभर के भूगर्भ वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि टेक्टोनिक फोर्स ने अफ्रीका भू-भाग को दो भाग में बांटना शुरू कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब यह नजर आने लगा है। इसके साथ ही अफ्रीका महाद्वीप के टूटने के अलावा बीच में एक नए महासागर का निर्माण शुरू हो गया है। पूर्वी अफ्रीका में यह बड़ी घटना घट रही है। यहां पर तीन प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों का मिलन होता है और धीरे-धीरे अलग हो जाती हैं।
रिसर्चर वैज्ञानिक डॉ. रोसालिया नेवे ने एविडेंस नेटवर्क में लिखे एक लेख में बताया है कि पूर्वी अफ्रीका में महाद्वीप के टूटने के निशान नजर आने लगे हैं। उन्होंने इस विभाजन को ‘ग्रेट रिफ्ट वैली’ बताया है। यह वैली उत्तर से दक्षिण तक लगभग 6,000 किलोमीटर तक फैली है। इस इलाके में धरती की सतह धीरे-धीरे फट रही है और नीचे से उठती हुई गर्म मैग्मा परतों के कारण यह प्रक्रिया को और तेज हो रही है। इस भूगर्भीय कहानी के किलिमंजारो जैसे विशाल ज्वालामुखी पर्वत सबूत हैं। यह करीब 2.5 करोड़ वर्षों से जारी महाद्वीपीय परिवर्तन का प्रतीक हैं।
इस लेख में बताया गया है कि पूर्वी अफ्रीका का यह क्षेत्र तीन प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों, 1- सोमालियन प्लेट, 2- अफ्रीकन प्लेट और 3- अरेबियन प्लेट के संगम पर मौजूद है। इन भू-स्थितियों से महाद्वीपीय रिफ्टिंग के लिए शानदार परिस्थितियां बनती हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सोमालियन प्लेट हर वर्ष कुछ मिलीमीटर की गति से पूर्व दिशा की तरफ खिसकती जा रही है। इससे धरती की परत धीरे-धीरे खिंचती जा रही है। सैटेलाइट और जीपीएस तकनीक से इसकी निगरानी की जा रही है। इसमें में यह साबित हुआ है कि यह प्रक्रिया फिलहाल धीमी गति से चल रही है, लेकिन ये लगातार हो रही है।
इस विभाजन से धरती की सतह खींचकर पतली होती जा रही है और एक दिन इसके टूटने की रफ्तार काफी अधिक बढ़ जाएगी। वैज्ञानिकों ने आकलन किया है कि फिलहाल इस प्रक्रिया में कई सौ साल लगेंगे, लेकिन जब यह प्रक्रिया तेज होगी, तो फिर कुछ सेकंड्स या मिनट का समय लगेगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, परत के पूरी तरह टूटने पर समुद्र का पानी इस दरार में भर जाएगा, जिससे एक नए महासागर का निर्माण होगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह नया सागर अफार क्षेत्र से लेकर केन्या और तंजानिया की सीमा तक फैल जाएगा। इससे हॉर्न ऑफ अफ्रीका एक विशाल द्वीप में बदल जाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब यह प्रक्रिया तेज होगी तो सिर्फ कुछ समय लगेगा।





