दो दोस्तों ने 20 साल पहले बनाया था, अब इस सर्च इंजन के बिना जीना है मुश्किल

गैजेट डेस्क. दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन ‘गूगल’ आज 20 साल का हो गया। सितंबर 1998 में गूगल को सर्च इंजन के तौर पर लॉन्च किया गया था। दुनिया में कोई ऐसा सवाल नहीं है, जिसका जवाब गूगल के पास नहीं है। हम भी अपने सारे सवालों के जवाब किसी व्यक्ति से पूछने की बजाय गूगल से पूछते हैं। इस खास मौके पर गूगल ने भी डूडल के जरिए अपने 20 साल के सफर को दिखाया है। अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे लैरी पेज और सर्जे ब्रिन ने जनवरी 1996 में गूगल को रिसर्च प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया था। उस समय इसे google.stanford.edu एड्रेस पर एक इंटरनेट सर्च इंजन बनाया गया था, जिसका नाम BackRub रखा गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर Google कर दिया गया। 15 सितंबर 1997 को Google.com डोमेन को रजिस्टर्ड किया गया और 4 सितंबर 1998 को इसे एक कंपनी बनाया गया। इस कंपनी को लैरी पेज और सर्जे ब्रिन ने अपने एक दोस्त सुजैन वोजकिकी के गैरेज में शुरू किया था। सुजैन गूगल की पहली कर्मचारी थी और अभी यूट्यूब की सीईओ हैं। जब गूगल को शुरू किया गया था, उस समय वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) पर 25 मिलियन (2.5 करोड़) से ज्यादा वेब पेज थे। गूगल ने अपना एल्गोरिदम इतना शानदार बनाया था, कि कुछ भी सर्च करने पर इन 2.5 करोड़ पेजेस से जानकारी मिल जाती थी। कहा जाता है कि 1999 में गूगल के शुरुआती दिनों में ही इसके फाउंडर लैरी पेज और सर्जे ब्रिन ने इसे बेचने का मन बना लिया था। इसके लिए लैरी पेज और सर्जे ब्रिन ने एक्साइट कंपनी के सीईओ जॉर्ज बेल से मुलाकात की और गूगल को 1 मिलियन डॉलर में खरीदने का ऑफर दिया, लेकिन जॉर्ज ने इसे ठुकरा दिया था। दरअसल, इंटरनेट पर कुछ भी सर्च करने के लिए एक खास एड्रेस की जरूरत होती है, जिसे URL (यूनिवर्स रिसोर्स लोकेटर) कहते हैं। लेकिन अगर URL नहीं है तो फिर सर्चिंग के लिए सर्च इंजन की जरूरत होगी क्योंकि यही इंटरनेट पर मौजूद डेटा से मांगी गई जानकारी ढूंढकर देगा। गूगल के पास एक सॉफ्टवेयर है, जिसे ‘वेब क्रॉलर’ कहा जाता है। इसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर गूगल इंटरनेट पर मौजूद वेब पेजेस को देखता है और उनमें मौजूद लिंक को फॉलो करता है। वेब क्रॉलर ही वेब पेजेस का डेटा गूगल सर्वर पर भेजता है। जब गूगल सर्वर में डेटा आ जाता है, तो इसके बाद इस डेटा की इंडेक्सिंग की जाती है। गूगल सर्च इंडेक्स में गूगल के पास अरबों वेब पेजेस हैं और इसमें हर शब्द के लिए एक एंट्री होती है। इसकी मदद से वेब पेजेस पर मौजूद हर शब्द की एंट्री कर गूगल सर्च इंडेक्स में जोड़ दिया जाता है। इसके बाद गूगल का एल्गोरिदम सर्च के मुताबिक रिजल्ट दिखाता है। जैसे ही गूगल पर किसी चीज को सर्च किया जाता है, तो गूगल का एल्गोरिदम उस शब्द का एनालिसिस करता है और सर्वर में मौजूद अरबों वेब पेजेस से मतलब की जानकारी निकाल कर देता है।
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