देवउठनी एकादशी के दिन क्या खाएं और क्या नहीं?

देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी, जब भगवान विष्णु अपनी चार माह की योगनिद्रा से जागेंगे। इस कठोर व्रत को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन बहुत जरूरी है, तो आइए उन नियमों को जानते हैं।
देवउठनी एकादशी इस साल 1 नवंबर यानी कल मनाई जाएगी। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्रीहरि अपनी चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं। एकादशी का व्रत बेहद सात्विक और कठोर होता है। इस दौरान खान-पान के मामले में थोड़ी सावधानी रखनी होती है, तो आइए इस आर्टिकल में व्रत के सही नियमों को जानते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत में क्या खाएं?
फल और मेवे – इस व्रत में सभी प्रकार के फल और सूखे मेवे का सेवन किया जा सकता है।
ये भी खा सकते हैं – इस दिन आलू, शकरकंद, अरबी, और साबूदाना खाया जा सकता है।
कुट्टू और सिंघाड़े का आटा – इस तिथि पर सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा, और राजगीरे के आटे से बनी पूड़ी, पराठा या पकौड़ी खा सकते हैं।
डेयरी की चीजें – इस मौके पर दूध, दही, छाछ, पनीर और घी का सेवन किया जा सकता है।
नमक और मसाले – इस दिन केवल सेंधा नमक और काली मिर्च, हरी मिर्च, अदरक, जीरा पाउडर आदि सात्विक मसालों का प्रयोग कर सकते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत में क्या नहीं खाएं?
अनाज – इस दिन चावल, गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का और सभी प्रकार की दालों का सेवन वर्जित है।
तामसिक भोजन – इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली, और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
साधारण नमक – व्रत में सामान्य नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
कुछ सब्जियां – इस दिन गोभी, गाजर, पालक, बैंगन और शलजम जैसी सब्जियां भी नहीं खानी चाहिए।
देवउठनी एकादशी व्रत नियम
स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
इस दिन मन, वचन और कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। अगर भोग के लिए तुलसी दल की जरूरत हो, तो उसे एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लें।
इस तिथि पर किसी की निंदा न करें, झूठ न बोलें और किसी से वाद-विवाद न करें।
एकादशी के दिन सोना वर्जित माना गया है। ऐसे में इस मौके पर भजन-कीर्तन करें।
व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में ही करें।
पारण के प्रसाद में चावल और तामसिक चीजों को शामिल न करें।
 
 





