दिग्विजय सिह और कैलाश विजयवर्गीय के नजदीकी कंप्यूटर बाबा ने राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खिलाफ लगातार बोलने के बाद अचानक राज्यमंत्री का पद स्वीकारने वाले कंप्यूटर बाबा छह महीने बाद पद से इस्तीफा देने के साथ फिर से शिवराज विरोधी हो गए हैं।बाबा को अब फिर से मुख्यमंत्री ढकोसलेबाज, धर्म विरोधी और संतों का अपमान करने वाले नजर आ रहे हैं। कंप्यूटर बाबा के साथ ही राज्यमंत्री बनाए गए उनके खास साथी योगेंद्र महंत बाबा के ऐसे सारे आरोपों से न तो सहमत हैं और न ही उन्होंने इस्तीफा दिया है।
कंप्यूटर बाबा को कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नजदीकी माना जाता रहा है। उनके काम की कंप्यूटर जैसी तेज गति को देखते हुए कंप्यूटर बाबा नाम भी सिंह का दिया हुआ है, मूल नाम नामदेवदास त्यागी है।भाजपा में उन्हें कैलाश विजयवर्गीय-रमेश मेंदोला का नजदीकी कहा जाता है। सिंहस्थ-16 के दौरान जब बाबा ने शिवराज सिंह सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था और बाद में नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने की घोषणा की थी तब भी माना गया था कि इसके पीछे विजयवर्गीय खेमा है।
बाबा के ऐसे सारे विरोध तब चुप्पी में बदल गए जब शिवराज सरकार ने यकायक पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देकर भारतीय राजनीति का चौंकाने वाला निर्णय लिया था। सरकार ने समिति के सदस्य नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबा, उदय देशमुख भय्यू महाराज और योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया था। एक तरफ जहां (ब्रह्मलीन) भय्यू महाराज ने घोषणा वाले दिन ही पद स्वीकारने से इंकार कर दिया था वहीं कंप्यूटर बाबा शिवराज सिंह की जय जयकार करते पद-कार-गार्ड-बंगला आदि की मांग करते भोपाल दौड़ पड़े थे।शिवराज के इस दांव से बाबा के बदलते रंग भी समाज ने समझ लिए थे।
सरकार को सौ में से शून्य नंबर, मैं संतों की परेशानियां दूर नहीं करा सका-कंप्यूटर बाबा
अवंतिका ने फोन पर उनसे चर्चा में इस्तीफा देने का कारण पूछा तो उनका कहना था मैं तो भागदौड़ कर रहा था। सरकार का सहयोग नहीं मिला। संतों ने मुझ पर भरोसा किया लेकिन मैं उनके काम नहीं करा सका। मैं सरकार को सौ में से शून्य नंबर देता हूं। ने नदी किनारे पौधे भी लगवाए, जन जागरण भी किया। बाबा से पूछा सरकार ने जो छह करोड़ से अधिक पौधे नर्मदा किनारे लगाने का दावा किया है वो सारे पौधे आपने देखे क्या? नर्मदा खनन घोटाला के आरोप लगाते हुए अप्रैल से पहले आप यात्रा निकालने की बात कहते रहे, उसे शुरु करेंगे? वो बोले अभी मैं अपनी बात बता रहा हूं, करोड़ों पौधे की बात अभी नहीं करेंगे।
बाबा ने कहा कि शिवराज सरकार ने धर्म की उपेक्षा की है। सरकार द्वारा गौ मंत्रालय बनाने की घोषणा पर भी उन्होंने सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि सरकार संत समाज की उपेक्षा कर रही है। बाबा ने बताया कि हम साधू संतों की एक कार्यप्रणाली होती है जिसके तहत हम एक साथ बैठते हैं और चीजों पर फैसला लेते हैं। लेकिन मैंने देखा कि शिवराज सरकार ने धर्म के लिए कुछ नहीं किया है।
मुझे ऐसा लगा कि शिवराज धर्म के ठीक विपरीत हैं और धर्म का काम कुछ करना ही नहीं चाहते हैं। उनकी धर्म के प्रति उदासीनता को देखते हुए मैंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंप्यूटर बाबा ने कहा कि मैंने गाय, खनन और नर्मदा के संरक्षण के लिए सरकार से बात की थी और एक यात्रा निकालना चाहता था लेकिन सरकार ने ऐसा करने से रोक दिया।
मैं बाबा के आरोप से सहमत नहीं, शिवराज तो संतों का सम्मान करते हैं-महंत
बाबा के खास साथी पं योगेंद्र महंत को भी राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। जब महंत से बाबा के आरोप, इस्तीफे पर बात की तो उनका कहना था-मैंने इस्तीफा नहीं दिया है। बाबा के आरोपों से भी सहमत नहीं हूं। शिवराज तो संतों का खूब सम्मान करते हैं, संतों को राज्यमंत्री बनाया तो सही। जहां तक मेरा सवाल है मैंने सरकार से कोई सुविधा नहीं ली है-कार, डीजल आदि पर मैं स्वयं खर्च कर रहा हूं।
देपालपुर विधानसभा के गांधीनगर में रहने वाले महंत राज्यमंत्री पद मिलने के पहले तक कांग्रेसी थे। उस वार्ड से भाजपा के भगवान सिंह चौहान के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था और विधानसभा के लिए दावेदारी कर रहे थे। अब बाबा के इस्तीफे को उनका निजी मामला बताने वाले महंत कहते हैं शिवराज संतों का दिल से सम्मान करते हैं।
कीर्ति राणा