…तो इसलिए महिलाओं को पीरियड्स के दौरान रखा जाता हैं धर्म कर्म से दूर

मानव जीवन में तन से ज्यादा पवित्रता मन की होती है. धर्म ये नहीं कहता की पीरियड्स के दौरान महिला अपवित्र हो जाती है। सबसे बड़ी पवित्रता तो अंतरात्मा की होना चाहिए. महिलाओं को इस समय में दूरी बनाने की धारणा समाज द्वारा ही बनाई गई है....तो इसलिए महिलाओं को पीरियड्स के दौरान रखा जाता हैं धर्म कर्म से दूर

दुरी बनाने का मुख्य कारण यह था की उस आये समय में उन्हें शारीरिक कष्टों से जूझना पड़ता है. उस दौर पर उन्हें बेहद रूप से आराम की आवश्यकता होती है. जो उन्हें अपने गृहस्थ के काम काज न करने से मिल सकती है, काम काज से दूर रखते हुए आज उन्हें धर्म -कर्म से दूर की भी धारणा को अपना लिया गया. जो मानव के इस समाज द्वारा प्रदत्त है .

यह धारण अपनाने वाला उसी महिला समाज का ही निर्णय है. महिलाओं द्वारा ही सांसारिक आडम्बरों को अपना , टोटके और नुक्से निकालना , कोई भी नियम बना लेना है. ये सब आपके मन के विचार है. अब रही बात पवित्रता की तो पवित्रता की –  तो जरूरी नहीं की तन पवित्र है. तभी मन पवित्र हो कई बार हम अपने तन को बड़ी ही साफ सफाई के साथ सजाते सवारते है और भक्ति के मार्ग में निकलते है. 

तो बहुत से लोगों का तो वहां भी मन नहीं लगता वे अपने इस सजे हुए तन को देख-देख कर प्रशन्न रहते है. अपने इस नाशवान शरीर को देख स्वयं को श्रेष्ट मानकर घमंड की भावना धारण कर लेते है, अब कहाँ की भक्ति उस वक्त तो उसे अब अपना शरीर ही दिखता है. भगवान को भी भूल जाते है .

हम इस बात को मानते है की मानव को पवित्रता रखनी चाहिए उससे आध्यात्मिक ध्यान , संयम में सहायता मिलती है .पर यह जरूरी नहीं की महिलाओं को आये इस समय में भक्ति से वंचित किया जाए शारीरिक पवित्रता से क्या ध्यान तो मन की पवित्रता से होता है .

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