…जब मैं तेरह साल का था तब लगा अंदर से लड़की हूँ!
तन्नू जब तेरह साल का था तब उन्हें एहसास हुआ कि उनका शरीर तो लड़के का है, लेकिन उसके अंदर कुछ-कुछ लड़की जैसा होता है। अपने परिवार को ये सब बताना उनके लिए बहुत ही मुश्किल रहा। सोलह साल की उम्र तक उनको विश्वास हो गया था कि वो एक गलत शरीर में कैद होकर रह गई हैं। असल में वो लड़की की तरह ही हैं।
बस वहां से खुद को बदलने की तन्नू की शुरुआत हो गई। दूसरी तरफ निताशा को सिर्फ तीन साल की उम्र में पता चल गया कि अंदर से वो एक लड़की हैं। शरीर लड़के का और आत्मा लड़की की, लेकिन इसके साथ ही शुरू हुआ एक नया चैलेंज जो तन्नू और निताशा दोनों ने महसूस किया।
निताशा का कहना है कि प्यार से ही हम एक-दूसरे के क़रीब आ सकते हैं। तन्नू और निताशा दोनों को हमसफर की तलाश है। मॉडलिंग के बाद तन्नू ऐक्ट्रेस बनना चाहती हैं और निताशा भी बॉलीवुड का रुख करना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि एलजीबीटी समुदाय को उनके अधिकार मिलें। वे कहती हैं, “जिनको लगता है कि वो एक गलत शरीर में हैं, उनको भी अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक है। वे अपनी बात परिवार को बताएं और इस जिंदगी को और खूबसूरत बनाएं।”