डोमिसाइल नीति लागू: लद्दाख के युवाओं को मिला तोहफा, सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए मंगलवार का को नई आरक्षण नीति लागू कर दी गई। अब सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों को 85 फीसदी आरक्षण मिलेगा। हालांकि आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग को मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण को इस दायरे से बाहर रखा गया है।
इसके साथ ही लद्दाख ऑटोनॉमस हिल्स डेवलपमेंट कौंसिल यानी एलएएचडीसी की कुल सीटों में से एक तिहाई यानी 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गई हैं।राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने लद्दाख आरक्षण एवं अधिवास यानी रिजर्वेशन और डोमिसाइल संबंधी नए नियम अधिसूचित कर दिए हैं।
लद्दाख वासियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण और डोमिसाइल बड़ा मुद्दा था। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से वे स्थानीय नौकरियों पर बाहरियों के कब्जे और सांस्कृतिक सुरक्षा की मांग को लेकर लगातार आवाज उठाते आ रहे थे।
एसटी समुदाय को मिलेगा सबसे अधिक लाभ
आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ एसटी को होगालद्दाख में 90 फीसदी से अधिक जनसंख्या अनुसूचित जनजाति (एसटी) की है। ऐसे में आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ एसटी को मिलेगा। सीमावर्ती क्षेत्र के निवासियों के लिए 4 प्रतिशत और अनुसूचित जाति यानी एससी के लिए एक फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
वहीं, एलएएचडीसी में 33 प्रतिशत सीटों के आरक्षण से प्रदेश की महिलाओं के पास सक्रिय राजनीति में भागीदारी का अवसर रहेगा। महिलाओं को आरक्षण के लिए लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल एक्ट-1997 की धारा 4 के अंतर्गत नई उप-धाराओं का समावेश किया गया है। नए नियमों के अनुसार विभिन्न क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों को इन आरक्षित सीटों का अलॉटमेंट रोटेशन के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए हर निर्वाचन क्षेत्र को एक अलग सीरियल नंबर दिया जाएगा।
भोटी और पुर्गी को मिली आधिकारिक भाषा की मान्यता
भोटी और पुर्गी बनी आधिकारिक भाषालद्दाख में हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, भोटी और पुर्गी को आधिकारिक भाषा के रूप में अधिसूचित किया गया है। भोटी और पुर्गी को इस सूची में शामिल करके इस क्षेत्र के लोगों की भाषाई और सांस्कृतिक संरक्षण से जुड़ी बरसों पुरानी मांग को पूरा किया गया है। अलबत्ता, केंद्र शासित प्रदेश में काम-काज की भाषा अंग्रेजी ही रहेगी। इसके अतिरिक्त लद्दाख की अन्य भाषाओं जैसे शिना, ब्रोक्सकट, बल्ती और लद्दाखी के प्रचार एवं विकास के लिए भी विशेष प्रयास किया जाएगा।
कौन होंगे लद्दाख के मूल निवासी
जो लोग लद्दाख में 15 साल की अवधि तक निवास कर चुके हैं या सात साल की अवधि तक पढ़ाई कर चुके हैं और उन्होंने लद्दाख स्थित किसी शैक्षणिक संस्थान से कक्षा 10 या 12 की परीक्षा में शिरकत की है, तो वे किसी भी स्थानीय या किसी प्राधिकरण के तहत नियुक्ति के मकसद से यहां के मूल निवासी कहलाएंगे।
हालांकि कैंट बोर्ड को इस परिभाषा से बाहर रखा गया है। इसके अतिरिक्त 10 साल की अवधि तक लद्दाख में सेवा देने वाले केंद्र सरकार, ऑल इंडिया सर्विसेज, केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रम एवं स्वायत्त निकायों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वैधानिक निकायों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों एवं केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त शोध संस्थानों के अधिकारियों के बच्चे भी डोमिसाइल के पात्र होंगे। यह डोमिसाइल केवल लद्दाख लोकसेवा विकेंद्रीकरण एवं भर्ती (संशोधन) विनियमन-2025 में परिभाषित यूटी लद्दाख के अंतर्गत पदों पर नियुक्ति के लिए मान्य होगा।
नए नियमों से यह फायदा होगा
युवाओं को नौकरी की संभावना।-लद्दाख की संस्कृति और पहचान सुरक्षित रहेगी।
बाहरी लोगों का दखल कम होगा।-हजारों बेरोजगार युवाओं को मिलेगा लाभ
लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल यानी एलएएचडीसी, कारगिल के चीफ एक्जीक्यूटिव काउंसिलर डॉ. जफर अखून के अनुसार आरक्षण एवं डोमिसाइल संबंधी नए नियम अधिसूचित होने से गजटेड पदों पर भर्ती का रास्ता साफ होगा। प्रदेश के हजारों बेरोजगारों को इससे लाभ होगा। अभी तक इन नियमों के साफ न होने से इन भर्तियों विज्ञापन नहीं निकाले जा पा रहे थे।
बाकी मुद्दों पर गृह मंत्रालय से बात होगी
लद्दाख मामलों में गठित हाईपावर कमेटी में प्रदेश का पक्ष रखने वाली लेह अपेक्स बॉडी यानी एलएबी के को-चेयरमैन शेरिंग दोरजे ने कहा कि अभी केवल मुद्दा सुलझा है। प्रदेश में बेरोजगारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पहला फोकस उसी पर रखा गया। अब बाकी मुद्दों पर गृह मंत्रालय से बात होगी। हमने अपनी बात वहां पहुंचा दी है। आपको बता दें कि इन मुद्दों में लद्दाख को राज्य का दर्जा, उसे छठी अनुसूची में शामिल किया जाना और संसद में लद्दाख का प्रतिनिधित्व बढ़ाना जैसे मुद्दे शामिल हैं।
मोदी और शाह का आभार जताया
लद्दाख के बेरोजगारों से सीधे जुड़े आरक्षण और अधिवास के नए नियम अधिसूचित किए जाने पर एलएएचडीसी, लेह के सीईसी ताशी ग्लयासन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया। उन्होंने कहा कि लद्दाख लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है।
यह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की सकारात्मक सोच का नतीजा है। भाजपा लद्दाख के वरिष्ठ नेता हाजी अनायत अली शाह ने भी महिलाओं को आरक्षण और भोटी व पुर्गी को आधिकारिक भाषा के रूप में अधिसूचित किए जाने को ऐतिहासिक कदम बताया। इसके लिए मोदी सरकार का आभार जताया।
भारतीय जनता महिला मोर्चा ने सीईसी लेह से मुलाकात की
जम्मू एलएएचडीसी में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलने पर भारतीय जनता महिला मोर्चा की पदाधिकारियों ने अध्यक्ष सिवांग डोलमा के नेतृत्व में लेह कांउसिल सीईसी ताशी ग्यालसन से मुलाकात कर आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस कदम से महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ेगा, उनकी सत्ता के निर्णय में भागीदारी होगी। सीईसी से मिलने वालों में निल्जा आंगमो, पनामिक, रेसिंग संगडुप आदि शामिल थीं।