भारत के लोकतंत्र को हुआ नुकसान, डेमोक्रेसी इंडेक्स में 10 पायदान नीचे आया भारत
वैश्विक लोकतंत्र को एक पैमाने पर परखने के लिए ब्रिटिश संस्थान ‘द इकोनॉमिस्ट ग्रुप’ की कंपनी इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट सूचकांक निकालती है। ये 167 देशों में लोकतंत्र की स्थिति को मापने के इरादे से निकाला जाता है। जिनमें से 166 संप्रभु और इनमें से 164 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश हैं। इस सूचकांक को ही डेमोक्रेसी इंडेक्स कहा जाता है।
इकोनॉमिक इंटेलीजेंस यूनिट (ईआईयू) की ओर से जारी 2019 के डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत 51वें स्थान पर है। इस तरह से भारत बीते साल से 10 पायदान नीचे आ गया है। 2018 में भारत के अंक 7.23 थे, जो घटकर 6.90 रह गए हैं।
डेमोक्रेसी इंडेक्स पहली बार 2006 में प्रकाशित किया गया था। फिर 2008, 2010 और इसके बाद के सालों में इसे अपडेट किया गया। ये इंडेक्स पांच अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत 60 संकेतकों पर आधारित है, जो बहुलवाद, नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक संस्कृति की स्थिति का पता करता है।
इसमें एक संख्यात्मक स्कोर और एक रैंकिंग के अलावा ये इंडेक्स हर देश को चार शासन प्रकारों (पूर्ण लोकतंत्र, त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र, संकर शासन और सत्तावादी शासन) में से एक में वर्गीकृत करता है।
ये है तरीका
डेमोक्रेसी इंडेक्स 60 प्रश्नों के उत्तर के आधार पर तैयार होता है। जिसमें से प्रत्येक दो या तीन वैकल्पिक उत्तरों के साथ होता है। इसमें से अधिकांश उत्तर “विशेषज्ञों के आकलन” के आधार पर होते हैं। इसमें से कुछ जवाब संबंधित देशों के पब्लिक ओपिनियन और सर्वे के आधार पर लिए जाते हैं।
चुनाव के संबंध में शामिल होते हैं ये सवाल
क्या राष्ट्रीय चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं?
मतदाताओं की सुरक्षा
सरकार पर विदेशी शक्तियों का प्रभाव
नीतियों को लागू करने के लिए सिविल सर्वेंट्स की क्षमता
इंडेक्स के आधार पर क्या है
पूर्ण लोकतंत्र
पूर्ण लोकतांत्रिक देश वो हैं, जहां नागरिक स्वतंत्रता और मौलिक राजनीतिक स्वतंत्रता का पूर्ण सम्मान किया जाता है। यहां लोकतांत्रिक सिद्धांतों के पालन के अनुकूल राजनीतिक संस्कृति होती है जो इस पर दबाव बनाती है।
इन राष्ट्रों में सरकारी जांच और संतुलन की एक वैध प्रणाली है जो वास्तव में स्वतंत्र न्यायपालिका है। जिसके निर्णय पूर्ण रूप से लागू होते हैं। जहां सरकारें पर्याप्त रूप से कार्य करती हैं और जहां स्वतंत्र मीडिया होता है। इन राष्ट्रों को लोकतांत्रिक कामकाज में केवल सीमित समस्याएं हैं।
त्रुटिपूर्ण डेमोक्रैसी
त्रुटिपूर्ण डेमोक्रेसी वाले वो राष्ट्र हैं, जहां चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होते हैं और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता को सम्मानित किया जाता है, लेकिन इसमें मुद्दे (जैसे मीडिया स्वतंत्रता का उल्लंघन) हो सकता है। इन राष्ट्रों में अन्य लोकतांत्रिक पहलुओं में महत्वपूर्ण दोष हैं। जिनमें अविकसित राजनीतिक संस्कृति, राजनीति में भागीदारी का निम्न स्तर और शासन के कामकाज के मुद्दे शामिल हैं।
संकर शासन
ये वो देश हैं जहां नियमित चुनावी धोखाधड़ी होती है, वे निष्पक्ष और स्वतंत्र लोकतंत्र होने से रोकते हैं। इन राष्ट्रों में आमतौर पर ऐसी सरकारें होती हैं जो राजनीतिक विरोधियों, गैर-स्वतंत्र न्यायपालिकाओं, व्यापक भ्रष्टाचार, उत्पीड़न और मीडिया पर लगाए गए दबाव, कानून के अराजक शासन और अविकसित राजनीतिक संस्कृति के दायरे पैदा करती हैं।
अधिनायकवादी शासन
अधिनायकवादी शासन वाले वे राष्ट्र हैं जहां राजनीतिक बहुलता लुप्त हो गई है या बेहद सीमित है। ये राष्ट्र अक्सर निरंकुश राजशाही या तानाशाही होते हैं। यहां लोकतंत्र की कुछ पारंपरिक संस्थाएं हो सकती हैं लेकिन नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन आम बात है। यहां चुनाव यदि होते भी हैं तो निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं होते हैं। वहीं मीडिया अक्सर राज्य के स्वामित्व वाली होती है या सत्तारूढ़ शासन से जुड़े समूहों द्वारा नियंत्रित होती है। इन देशों में न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं होती है।
इस साल की रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नागरिकों की आजादी की स्थिति एक साल में कम हुई है। लोकतांत्रिक सूची में यह गिरावट देश में नागरिक स्वतंत्रता के ह्रास के कारण आई है। सूची में चीन 153वें स्थान पर है। नार्वे शीर्ष पर व उत्तर कोरिया सबसे नीचे है।
मिलते हैं ऐसे अंक
पूर्ण लोकतंत्र (8 से ज्यादा अंक हासिल करने वाले), त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र (6 से ज्यादा लेकिन 8 या 8 से कम अंक वाले), संकर शासन (4 से ज्यादा लेकिन 6 या 6 से कम अंक हासिल करने वाले) और सत्तावादी शासन (4 या उससे कम अंक वाले)। इस बार भारत को ‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’ में शामिल किया गया है।