अगर डेंगू से है अपनों की जान बचानी, तो रखनी होगी आपको थोड़ी सी सावधानी
लखनऊ. डेंगू बीमारी के कारण हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है. हम इसे नियति का खेल मानकर शांत बैठे रहते हैं, सरकारों पर जिम्मेदारी डाल देते हैं कि उसकी लापरवाही के चलते डेंगू का प्रकोप फैल गया. लेकिन हम यह क्यों नहीं सोचते हैं कि आखिर जान तो हमारी और हमारे परिजनों की है अगर हम थोड़ी सी सावधानी रख कर अगर इसे बचा सकते हैं तो क्यों न बचाएं. स्वास्थ्य विभाग इस बारे में बराबर मुहीम चलाता रहता है इसी क्रम में इस साल राष्ट्रीय डेंगू दिवस 16 मई को मनाया गया जिसके तहत गोमती नगर स्थित 1090 चौराहे से वीआईपी चौराहा तक जन जागरूकता रैली निकाली गई।
रैली में प्रमुख सचिव चिकित्सा प्रशान्त त्रिवेदी, स्वास्थ्य सचिव वी हेकाली झिमोमी, डीजी हेल्थ पदमाकर सिंह, सीएमओ नरेन्द्र अग्रवाल, डीएमओ डीएन शुक्ला व अन्य लोग शामिल हुए। इसके अलावा वीडियो की सहायता से व नुक्कड़ नाटक के जरिए 1090 चौराहा पर लोगों को डेंगू बीमारी की जागरूकता के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग डेंगू से बचाव, इससे मुक़ाबले के लिए प्रभावी रणनीति और इस से होने वाली मृत्यु में कमी लाने के उपायों पर ज़ोर दे रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि लखनऊ में 2016 में 1020, 2017 में 291 और 2018 में अबतक 26 डेंगू से ग्रसित मरीज पाएं गए। डेंगू के मरीजों की खोज के लिए लखनऊ के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में घर घर जाकर 25 एंटी लार्वा और 25 फोगिंग टीमों का गठन किया गया है। इसके अलावा लखनऊ में 5 सर्वेक्षण टीमों का गठन किया गया है, यह टीमें घर-घर जा कर डेंगू के मरीजों को चिन्हित कर खून की जांच के लिए नमूने एकत्रित करेंगी। साथ ही डेंगू से ग्रसित मरीजों को सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क जांच और उपचार मुहैया कराएंगी। यह व्यवस्था सभी सरकारी अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है। इसके अलावा जुलाई माह में डेंगू माह मनाया जाएगा जिसमें प्रसार प्रचार के लिए 40 टीमों का गठन किया जाएगा।
200 रुपये का चालान व 2 माह की जेल का प्रावधान
जिला मलेरिया अधिकारी डीएन शुक्ला ने बताया कि 25 अप्रैल 2018 से एंटी लार्वा अभियान के तहत लखनऊ में गजट नोटिफिकेशन के तत्वावधान में जिन घरों, सरकारी दफतरों, दुकानों, प्राइवेट कार्यालयों व अनय जगह पर मछ्चर जनित स्थितियों को उत्पन्न करने के लिए भारतीय दण्ड संहिता की IPC के तहत 200 रूपये का जुर्माना व 2 माह की जेल भी हो सकती है। साथ ही यह भी बताया कि पिछले साल 5 टीमों की मदद से 150 घरों में लगभग 2500 लोगों का चालान कर नोटिस दी गई थी।
डीजी हेल्थ पदमाकर सिंह ने बताया कि डेंगू के लार्वा साफ पानी में पैदा होता है और उन जगहों पर पैदा होता है जहां पर जल का जमाव होता है। इसलिए सभी सरकारी विभागों के अधिकारियों व महानिदेशको को समन्वय स्थापित करने के लिए नोटिस भेजी है। जिसमे साफ तौर से लिखा है कि वह रुके हुए पानी, कूड़ेदान, थानों में जब्त की गई गाड़ियों, परिसर व कार्यालयों में लगे कूलर के पानी को हर हफ्ते बदले, परिसर के आस पास जलभराव की स्थिति पैदा न होने दे, आवासीय व कार्यालयों भवनों के दरवाजों व खिड़कियों में मच्छरदानी जाली लगवाने के आदेश दिए हैं.
इस साल जनवरी से अभी तक 26 मरीजों में डेंगू के लक्षण पाए गए और उनका उपचार किया जा रहा है। साथ ही श्री शुक्ला ने समाज को जागरूक करने के लिए कहा कि घर एवं आसपास की जगहों पर पानी जमा नहीं होने देना चाहिए। जिन जगहों पर पानी जमा रहता हो उन जगहो पर पानी ना रुकने की व्यवस्था करनी चाहिए। बुखार आने पर खून की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए और निकटतम चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा का सेवन करना चाहिए।
शिक्षक के माध्यम से करेंगे जागरूक
डीएन शुक्ला ने बताया कि हमने हर स्कूल में एक शिक्षक को चिन्हित करके उसे डेंगू से सम्बन्धित सभी जानकारी देखर प्रशिक्षित किया है ताकि वह स्कूल के बच्चों को प्रार्थना आदि के दौरान डेंगू से बचाव के लिए जागरूक कर सके। हमरा मानना है कि बिना समाज की जागरूकता के कुछ नहीं हो सकता है।
लक्षण, बचाव व इलाज
- डेंगू के मुख्य लक्षण यह हैं कि एक निश्चित अंतराल से रोज एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है। सिरदर्द और उल्टी आना कमर में दर्द होना, कमजोरी होना के साथ कंपकंपी के साथ ठंड लगने के दौरे प्रमुख हैं। मरीज को हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है।
- गंभीर डेंगू के कारण सांस लेने में तकलीफ होना, अंगों का काम बन्द(Organ Failure) कर देना कर देते है । इसके कारण एनीमिया, सेरेब्रेरम मलेरिया (मतिष्क क्षति), शरीर में शुगर की मात्रा बहुत कम हो जाना। जिससे कोमा हो सकता है या मृत्यु भी हो सकती है।
डेंगू से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना। इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाएँ छिड़कवाना, गंबूशिया मछली के बच्चे छुड़वाना आदि उपाय भी जरूरी हैं। यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुँचाने वाले मच्छरों के लार्वा पर पलती हैं।
यदि मरीज में लक्षण सामने आ रहे हैं तो उसका इलाज योग्य चिकित्सक से कराना चाहिए। कुनैन की गोली इस रोग में फायदा पहुँचाती है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मामले में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होती है।
मरीज को सूखे और गर्म स्थान पर आराम करने दें। कुनैन के कारण मरीज को मितली के साथ उल्टियाँ आ सकती हैं। इसके कारण मरीज को निर्जलन की शिकायत भी हो सकती है। याद रखें मच्छर काटने के 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आते हैं।
डेंगू से बचने के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचा जाए। मच्छरों से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ अपनानी चाहिए।
जैसे-
* जहाँ तक हो पूरी बाँह के कपड़ों का प्रयोग करें।
* सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
* बंद कमरे में जितना हो सके क्वॉइल का प्रयोग न करें। * घर में पानी को जमा न होने दें।
* अगर आसपास पानी जमा है तो उसमें ऑइल डाल दें जिससे मच्छर नहीं पनपेंगे।
* थोड़ा भी बुखार आने पर डॉक्टर से परामर्श लें।