डिजिटल एजुकेशन की ओर कदम, एमसीडी स्कूलों में पीएम ई-विद्या ऐप अभियान से जुड़ेंगे छात्र और अभिभावक

एमसीडी स्कूलों में प्रधानमंत्री ई-विद्या ऐप के माध्यम से डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य छात्रों और अभिभावकों को ऑनलाइन लर्निंग से जोड़ना है।
एमसीडी की शिक्षा समिति ने अपने सभी स्कूलों में प्रधानमंत्री ई-विद्या एप के प्रति छात्रों और अभिभावकों को जागरूक करने के लिए विशेष कार्यशालाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है। समिति अध्यक्ष योगेश वर्मा ने इस संबंध में आयुक्त को पत्र लिखकर निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
योगेश वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘पीएम ई-विद्या एप’ डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने और गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई को घर-घर तक पहुंचाने का प्रभावी माध्यम है। यह एप कक्षा और विषय के अनुसार वीडियो लेसन, अभ्यास प्रश्न और अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराता है, जिससे छात्रों की निजी ट्यूशन पर निर्भरता घटेगी।
ई-विद्या ऐप से होगा डिजिटल शिक्षा मजबूत
वर्मा ने बताया कि सभी एमसीडी स्कूलों में जल्द विशेष कार्यशालाएं होंगी, जिनका उद्देश्य छात्रों और अभिभावकों को एप से जोड़ना और इसके उपयोग की जानकारी देना है। शिक्षकों को जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे अभिभावकों को एप डाउनलोड करने और इंस्टॉल कराने में मदद करें।
उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में लगे स्मार्ट बोर्ड या प्रोजेक्टर के माध्यम से एप का लाइव डेमो दिखाया जाए, ताकि अभिभावक इसकी सुविधाओं को बेहतर समझ सकें। साथ ही शिक्षकों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कमजोर छात्र घर पर इस एप के जरिये अतिरिक्त अभ्यास करें।
वर्मा ने प्रस्ताव रखा कि आगामी 15 दिनों के भीतर हर अभिभावक से संपर्क कर उनके मोबाइल पर पीएम ई-विद्या एप डाउनलोड और सक्रिय कराया जाए। उन्होंने कहा कि यह पहल एमसीडी स्कूलों के डिजिटल सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम होगी और इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ छात्रों की निजी ट्यूशन पर निर्भरता भी घटेगी।
डीटीयू में होगी पॉलिसी लैब की स्थापना
साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को आगे बढ़ाने के विषय पर उच्च-स्तरीय पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रोफेसर प्रतीक शर्मा की अध्यक्षता में हुई। उन्होंने विश्वविद्यालय में पॉलिसी लैब स्थापित करने की घोषणा की, जिसका उद्देश्य शासन और अकादमिक जगत के बीच सेतु बनाते हुए नीति-केंद्रित शोध को बढ़ावा देना होगा।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने बताया कि ठोस अनुसंधान और तथ्यों पर आधारित नीतियां ही दीर्घकालिक सामाजिक विकास का आधार बन सकती हैं। कार्यक्रम में आईआईटी रुड़की के पूर्व निदेशक प्रोफेसर प्रेम व्रत, संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डीपी अग्रवाल और यूरोपीय संघ के पूर्व राजदूत मंजीव सिंह पुरी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।