ठेकेदार रिशु से जुड़े ठिकानों पर ईडी के छापे, 33 लाख नकद सहित कई सामान और कागजात जब्त

प्रवर्तन निदेशालय ने पटना के हाईप्रोफाइल ठेकेदार रिशु श्री से संबंधित मामले में देश के नौ ठिकानों पर छापेमारी की है। धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज इस मामले में सूरत, अहमदाबाद, दिल्ली और गुरुग्राम के ठिकानों को पर छापेमारी की। इस दौरान लगभग 33 लाख रुपए नकद, कई डिजिटल उपकरण, डायरी और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं।

जानिए कब आया था रिशु श्री का पहली बार नाम
ईडी ने मई 2025 में निगरानी इकाई ने रिशु श्री और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। जांच में यह बात सामने आई कि रिशु श्री ने बिहार सरकार के कई विभागों में ठेकेदार और उप ठेकेदार के रूप में काम किया। इस दौरान उसने ठेका पाने के लिए कई अधिकारियों को मोटा कमीशन के रूप में बड़ी रकम दी। ईडी का कहना है कि रिशु श्री का नाम पहली बार आईएएस अधिकारी संजीव हंस पर चल रहे मुकदमों और ईडी के द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान सामने आई थी।

आइएएस अधिकारी संजीव हंस पर लगे थे गंभीर आरोप
बिहार कैडर के 1997 बैच के आइएएस अधिकारी संजीव हंस पर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मनी लांड्रिंग के गंभीर आरोप हैं, जो ऊर्जा विभाग में उनके कार्यकाल से जुड़े हैं। यह मामला ईसीआईआर नंबर पीटीजेडओ/04/2024 पर आधारित है, जो 14 मार्च, 2024 को दर्ज किया गया था। इसमें धारा-3 और 4 के तहत मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं का उल्लंघन बताया गया है। हालांकि पटना हाईकोर्ट ने मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में न्यायाधीश चंद्र प्रकाश सिंह की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आइएएस अधिकारी संजीव हंस को जमानत दे दी।

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