जीरा डिस्टलरी पर लगेगा ताला: पंजाब सरकार ने किया स्पष्ट

पंजाब सरकार फिरोजपुर की जीरा स्थित विवादित मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (डिस्टलरी और एथनॉल प्लांट) पर ताला लगाने जा रही है। सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के सामने स्पष्ट कर दिया है कि प्रदूषण फैलाने वालों के लिए पंजाब में कोई जगह नहीं है।

जीरा की यह डिस्टलरी कई साल से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही थी। पंजाब सरकार के विशेष सचिव मनीष कुमार द्वारा 2 नवंबर, को NGT में एक हलफनामा दाखिल किया गया। जिसमें स्वीकार किया है कि इस फैक्टरी ने लंबे समय से पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन किया है, जिससे हवा, पानी और मिट्टी गंदी हुई है। यह हलफनामा NGT के 9 सितंबर के आदेश के अनुपालन में प्रस्तुत किया गया। सरकार ने साफ किया कि किसी भी उद्योग का मुनाफा, नागरिकों के साफ-सुथरे वातावरण में जीने के मौलिक अधिकार से बड़ा नहीं हो सकता।

फैक्टरी मालिक ने पिछली सुनवाई में केवल इथेनॉल प्लांट चलाने की गुजारिश की थी, जिसे सरकार ने नकार दिया। सरकार का कहना है कि जिस फैक्टरी का रिकॉर्ड इतना खराब है, उसे उसी जगह पर कोई भी काम करने की इजाजत देना जनता की भलाई और कानून के खिलाफ है। हलफनामे में कहा गया है कि परियोजना संचालक की स्थायी बंदी के लिए यह एक उपयुक्त मामला है, क्योंकि डिस्टलरी और इथेनॉल प्लांट का अंतिम उत्पाद रासायनिक रूप से समान (इथाइल अल्कोहल) है और ऐसी औद्योगिक गतिविधियां नागरिकों के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती हैं। पंजाब सरकार जीरा के नागरिकों के साथ खड़ी है और प्रदूषण के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति अपनाएगी।

सरकार ने इस मामले में प्रदूषणकर्ता भुगतान सिद्धांत को कड़ाई से लागू करने की मांग की है। इसका सीधा मतलब है कि जिसने प्रदूषण फैलाया है, उसी को पर्यावरण की बहाली और उपचारात्मक लागतों सहित पूरा खर्च उठाना पड़ेगा। यह फैसला जीरा के स्थानीय समूहों, जैसे ज़ीरा सांझा मोर्चा और पब्लिक एक्शन कमेटी के लंबे संघर्ष की एक बड़ी जीत है। पीएसी ने कहा है कि यह पहली बार है जब सरकार ने खुलकर माना है कि एक उद्योग प्रदूषण फैला रहा है और उसे स्थायी रूप से बंद करना चाहिए। यह दिखाता है कि अगर जनता सच्चाई के लिए डटी रहे, तो सरकार को भी हकीकत माननी पड़ती है।

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