जामिया में नशराह को मिलेगा प्रवेश, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी नई सीट बनाने की अनुमति

दिल्ली हाईकोर्ट ने नशराह को 2025-26 में जामिया के बीआर्क कोर्स में दाखिला देने के लिए अतिरिक्त सीट बनाने का आदेश दिया।
JMI: दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) को छात्रा को प्रवेश देने के लिए नई सीट बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि विश्वविद्यालय मुस्लिम महिला श्रेणी में एक अतिरिक्त (सुपरन्यूमरेरी) सीट बनाकर याचिकाकर्ता नशराह को बीआर्क कोर्स में शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए प्रवेश दे।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने अपने फैसले में कहा कि नशराह का दाखिला न होना विश्वविद्यालय और काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर (एनएटीए) के बीच संचार की कमी के कारण हुआ, जिसमें छात्रा की कोई गलती नहीं है।
2024 के स्कोर को किया गया था नजरअंदाज, अन्य छात्रों को पहले मिला दाखिला
नशराह ने नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट इन आर्किटेक्चर (एनएटीए) 2024 में 143 अंक प्राप्त किए थे और 2025 में एक प्रयास में 86 अंक। एनएटीए के नियमों के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार 2024 में वैध स्कोर प्राप्त कर चुका है और 2025 में एक या दो प्रयास करता है, तो दोनों में से बेहतर स्कोर पर विचार किया जाना चाहिए।
नशराह ने मुस्लिम महिला आरक्षण श्रेणी में जेएमआई में आवेदन किया था, जहां पहले सूची में कट-ऑफ 124 अंक था। हालांकि, जेएमआई ने शुरू में उनके 2024 के स्कोर पर विचार नहीं किया, क्योंकि एनएटीए की ओर से 6 अगस्त 2025 को भेजी गई सूची में केवल 86 अंक (2025 का स्कोर) दर्ज था। नशराह ने 19 अगस्त को दोबारा प्रतिनिधित्व किया , लेकिन उनका नाम दूसरे और तीसरे सूची में भी नहीं आया। जांच में पता चला कि समान स्थिति वाले दो अन्य छात्रों- अब्दुल्लाह अंसारी (136 अंक) और नबील अहमद (125 अंक) को 2024 के स्कोर के आधार पर दाखिला दिया गया।
न्यायालय का निर्देश: नशराह को बिना गलती के दंडित नहीं किया जा सकता
एनएटीए की ओर से अदालत में कहा गया कि नशराह के 2024 के स्कोर को 18 अगस्त को पोर्टल पर अपडेट किया गया और 29 अगस्त को जेएमआई को ईमेल से सूचित किया गया, जबकि विश्वविद्यालय की अंतिम सूची 11 सितंबर को जारी हुई। जेएमआई ने दावा किया कि सभी दाखिले 26 जुलाई तक की सूची पर आधारित थे और सीटें फ्रीज हो चुकी हैं। न्यायमूर्ति महाजन ने कहा, नशराह एक मेधावी छात्रा है और दाखिला न मिलने में उसकी कोई गलती नहीं। कोई अपनी गलती का फायदा नहीं उठा सकता और किसी को बिना गलती के दंडित नहीं किया जा सकता। जेएमआई को एक सप्ताह में नशराह को दाखिला देने का आदेश दिया।