जाने ब्रह्मोस के नाम से क्यों थर थर कांपते हैं दुश्मन देश
भारत की ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की प्रथम और अकेली, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, इसकी रफ्तार २.५ से ३.० मैक है.
इस का मतल हुआ की ब्रह्मोस मिसाइल १ सेकंड में लगभग १ किलोमीटर की दूरी तय कर लेती है. ब्रह्मोस मिसाइल को पकड़ना दुनिया की किसी भी मिसाइल के लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी है.
१ – ब्रह्मोस मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह न्यूक्लियर वॉर हेड तकनीक से लैस है. अर्थात यह परमाणु हमला करने में सक्षम है.
२ – इसकी एक अन्य खूबी है कि इसको नभ, थल और जल से भी दागा जा सकता है. इसे पनडुब्बी से दागने के लिए दो सफल परीक्षण किए जा चुके हैं.
३ – ब्रह्मोस मिसाइल मेनुवरेबल तकनीक से लैस है. यानी यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है. दागे जाने के बाद यदि दुश्मन मिसाइल या हवाई जहाज अपना रास्ता बदल ले तो यह मिसाइल भी अपना रास्ता बदल लेती है और उसे गिराकर ही दम लेती है.
४ – यह मिसाइल १२०० यूनिट ऊर्जा पैदा कर २९० किलोमीटर दूरी तक के लक्ष्य को तहस नहस कर सकती है.
५ – इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है.
६ – यह १० मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती.
७ – ब्रह्मोस मिसाइल रडार की पकड़ में नहीं आती है. ध्वनि की गति से तेज चलने के कारण यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है. इसको मार गिराना लगभग असम्भव है.
८ – ब्रह्मोस मिसाइल अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है. वहीं ब्रह्मोस के प्रति सेकंड १ किलोमीटर की तुलना में चीन की मिसाइल की गति मात्र २०० मीटर प्रति सेकेंड है.
९ – आम मिसाइलों के विपरित यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है.
१० – ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की पहली और एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे नौसैनिक प्लेटफार्म से लंबवत और झुकी हुई दोनों अवस्था में प्रक्षेपित किया जा सकता है.
थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकने वाली यह ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम है. भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम को मिलाकर इस मिसाइल का नाम ब्रह्मोस रखा गया है. रूस इस परियोजना में लॉन्चिंग तकनीक उपलब्ध करवा रहा है.