जानिए, नींद न आने की बीमारी की शुरुआती कैसे होती है
आपकी दिनचर्या सामान्य है। नियमित एक्सरसाइज करते हैं, डाइट भी ठीक-ठाक और नियम से लेते हैं। फिर भी ठीक से नींद नहीं आती है, तो यह ‘इनसोम्निया’ यानी अनिद्रा का एक प्रकार हो सकता है। दुनिया में इस वक्त करोड़ों लोग अलगअलग कारणों से अनिद्रा से पीड़ित हैं। अनिद्रा के चलते उन्हें दूसरी गंभीर बीमारियां भी हो रही हैं। इनसोम्निया ठीक करने के लिए कई बार डॉक्टर को दिखाने की जरूरत भी नहीं पड़ती और कुछेक उपायों से नींद बेहतर की जा सकती है। इन उपायों को हम स्लीप हाइजीन कहते हैं जिनके बारे में हम आगे बताएंगे। अगर स्लीप हाइजीन काम नहीं कर रहा है, तो फिर काउंसिलिंग और दवाओं की जरूरत पड़ती है। एलोपैथी डॉक्टर और लेखक डॉ. अव्यक्त अग्रवाल से जानिए जल्दी नींद से जुड़ी समस्याओं के उपाय…
बीमारी किस स्तर पर है?
इनसोम्निया कितने दिनों से है, इस आधार पर बीमारी दो श्रेणियों में बांटी जाती है। पहली एक्यूट और दूसरी क्रोनिक। एक्यूट इनसोम्निया अचानक आए किसी तनाव जैसे परिजन की मृत्यु, जॉब लॉस, तलाक, असफलता इत्यादि से हो सकता है। अथवा शारीरिक दर्द, जेट लेग, नाईट शिफ्ट्स में परिवर्तन इत्यादि भी इसकी वजह हो सकती है। वहीं क्रोनिक इनसोम्निया अधिकांशतः एंग्जायटी डिसऑर्डर, डिप्रेशन की वजह से ही देखने मिलता है। जब तीन महीने से अधिक समय से नींद न आने की समस्या होती है, तो वह क्रोनिक इनसोम्निया बन जाता है। इसके चलते व्यक्ति को थकावट, ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। यहां तक कि हार्ट अटैक तक की आशंका बढ़ जाती है।
अपनी अनिद्रा को पहचानिए…
अगर आप अनिद्रा के शिकार हैं, तो इसके अलगअलग कुछ विशेष लक्षण होंगे। मसलन अगर बिस्तर पर लेटने के आधे घंटे तक नींद नहीं आती है, तो यह हिस्सा इंडक्शन माना जाता है। वहीं अगर नींद कुछ घंटों के लिए ही लगती है, बारबार खुलती है, तो यह हिस्सा मैंटनेन्स कहलाता है। नींद ना आने के और भी कई कारण हो सकते हैं। जैसे रेस्ट लैग सिंड्रोम में नींद आने के बाद पैर हिलते रहते हैं, जिससे रात में अनेक बार नींद खुल जाती है। नाइट टाइम पैनिक डिसऑर्डर में नींद लगते ही व्यक्ति अचानक चौंक जाता है, धड़कन बढ़ जाती है, पसीना सा आता है और नींद खुल जाती है। खर्राटों की बीमारी, अत्यधिक मोटापा, हाइपरथायरॉइड, जोड़ों-हड्डियों में दर्द इत्यादि भी इनसोम्निया का कारण बन सकते हैं।
ये 10 उपाय करेंगे मदद
अनिद्रा की शिकायत लंबे समय से है, तो फिर डॉक्टर को दिखाना बेहतर है। एंग्जायटी या डिप्रेशन होने पर ट्रीटमेंट कराना जरूरी है। और अगर बीमारी की शुरुआत है, तो स्लीप हाइजीन के नियमों का कुछ समय तक पालने करके देखें।
दोपहर एक बजे के बाद चाय-कॉफी न पिएं। कैफीन दिमाग को अगले कुछ घंटों के लिए उत्तेजित कर सकती है। इससे रात में भी नींद पर असर पड़ सकता है। दिन के समय रौशनी में यानी नैचुरल लाइट में कुछ वक्त जरूर बिताएं। इससे दिमाग की जैविक घड़ी ठीक रहेगी। शाम के वक्त बहुत एक्सरसाइज न करें। सामान्य टहलना ठीक है। सुबह के समय नियमित रूप से एक्सरसाइज करना लाभदायक होगा। सोने के पहले वार्म शॉवर लेना कुछ लोगों को बेहतर नींद देता है। दिनभर की थकान दूर करने के लिए शॉवर लेना ठीक है।
सोने से कम से कम एक घंटे पहले टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर जैसी चीजों से दूर रहें। इसकी जगह कोई किताब डिम लाइट में पढ़ना बेहतर होगा। सोते समय कमरे में बहुत लाइट भी नहीं होना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और लाइट से नीली लाइट निकलती है, यह दिमाग को जगाए रखती है। नींद के लिए सही बिस्तर, शोरगुल से दूरी और कमरे का सही तापमान होना जरूरी है। यानी रूम न बहुत ठंडा और न गर्म हो। कमरे में अंधेरा, हल्की ठंडक मेलाटोनिन नामक रसायन को स्रावित
करने में मददगार है, जो कि नींद के लिए जरूरी है। आधे घंटे तक बिस्तर पर नींद न आने पर लेटे रहने के बजाय उठ जाएं और किसी और जगह जाकर कोई किताब पढ़ें और जब नींद आने लगे, तब बैड पर आएं।
मेडिटेशन, दिमाग़ को रिलैक्स रखने वाली चीजें करें और जो बातें चिंता देती हों, उनसे स्वयं को अलग रखें। कभी कभी काम से ब्रेक लेकर अपनों के साथ किसी प्राकृतिक जगह पर समय बिताना बेहतर होगा। अपनों के बीच समय बिताने से तनाव नहीं होता। सोने से पहले यहां-वहां की बातों और विचारों में ना खोएं। जिन्हें अनिद्रा की शिकायत है, उन्हें दिन में छोटी नैप भी नहीं लेनी चाहिए।
रात में मोबाइल नींद का सबसे बड़ा दुश्मन
युवाओं की अनिद्रा का बहुत बड़ा कारण लाइफस्टाइल है। यह भ्रम है कि नशा करने से नींद अच्छी आती है। शराब या कोई और नशे के बाद कुछ घंटे नींद आएगी, फिर बेचैन और दूसरी दिक्कतें हो सकती हैं। इसके अलावा मोबाइल की स्क्रीन पर घंटों वीडियोज देखना या चैटिंग करने से भी स्लीप पैटर्नडिस्टर्ब होता है और अनिद्रा की शिकायत होती है।