कश्मीर: पंडित को आखिरी सलाम देने उमड़े हजारों कश्मीरी, दिया भाईचारे का संदेश
झेलम ने लाख जख्म देखें हैं, लेकिन घाटी के दिलों में एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान कम नहीं हुआ है. वादियों में बारूद की चाहे कितनी भी बू पसरी हो, कश्मीर पंडितों और मुस्लिमों के बीच सामाजिक सौहार्द को नया जीवन देने की कोशिशें कभी कम न होंगी. ऐसा ही मौका शुक्रवार को आया, जब 75 वर्षीय त्रिलोकी नाथ शर्मा अपने आखिरी सफर पर निकले.
घाटी के वानपोह इलाके में आस-पास के लोग त्रिलोकी नाथ को विदाई देने उमड़ पड़े. मृतक के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेकर लोगों ने सामाजिक समरसता और भाईचारे की मिसाल पेश की. त्रिलोकी नाथ शर्मा अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं.
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इस बात का जिक्र किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है कि घाटी में ऐसे मौके उन सांप्रदायिक ताकतों के लिए करारा तमाचा है, जो कश्मीर की शांति को खत्म करना चाहते हैं. कश्मीर हमेशा से कश्मीरियत और अपनी शांति के लिए जाना जाता रहा है.
कश्मीर के कुछ बुजुर्गों ने आजतक से बातचीत में कहा कि हमारे लिए एक कश्मीरी पंडित की मौत भी दुखदायी है. हम शताब्दियों से एक दूसरे के साथ जी रहे हैं.
कश्मीर समस्या पर बातचीत के दिनेश्वर शर्मा को कमान
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कश्मीर मुद्दे पर अपने तल्ख तेवर में बदलाव करते हुए जम्मू एवं कश्मीर में वार्ता प्रक्रिया की शुरुआत और खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा को सभी साझेदारों के साथ बातचीत के लिए प्रतिनिधि बनाया है.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में कहा था कि “अपनी नीति में दृढ़ विश्वास और स्थिरता को आगे बढ़ाते हुए हमने निर्णय किया है कि जम्मू एवं कश्मीर में निरंतर वार्ता प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए.”
उन्होंने कहा, “भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शर्मा जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं को समझने के लिए निरंतर संवाद और वार्ता की पहल करेंगे. वह निर्वाचित प्रतिनिधियों, राजनीतिक पार्टियों, अन्य संगठनों व व्यक्तियों से मुलाकात करेंगे.”
सिंह ने कहा, “समाज के सभी धड़े से निरंतर वार्ता और संवाद किया जाएगा और जम्मू एवं कश्मीर के लोगों खासकर युवाओं की वैध आकांक्षाओं को समझने का प्रयास किया जाएगा. अब हम जो भी जम्मू एवं कश्मीर के लिए करेंगे, पूरे साफ इरादे से करेंगे.”
‘हुर्रियत से बातचीत की संभावना को नहीं किया खारिज’
केंद्र सरकार हाल के महीनों में कश्मीर पर सख्त रुख अख्तियार किए हुए थी और अलगाववादियों से बातचीत की संभावनाओं को खारिज करती रही थी. गृहमंत्री ने कहा कि कार्य समाप्त होने के बाद शर्मा केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौपेंगे.
शर्मा 1 जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2016 तक आईबी के निदेशक थे. 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी शर्मा को सुरक्षा और कश्मीर मामलों का जानकार माना जाता है. इससे पहले वह वर्ष 2003 से 2005 के बीच आईबी के इस्लामिक आतंकवाद डेस्क के संयुक्त निदेशक रह चुके हैं.
बातचीत की नहीं है कोई सीमाः राजनाथ
एक प्रश्न के जवाब में सिंह ने कहा कि इसके लिए कोई तय सीमा निर्धारित नहीं की गई है. यह तीन महीने की होगी या छह महीने की होगी यहा फिर इससे अधिक समय की, अभी समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है. वह जिससे चाहें, बातचीत कर सकते हैं.
गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर समस्या का हल तलाशने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से बातचीत चाहते हैं. उन्होंने कहा, “लोग हमसे कहते हैं कि वार्ता प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए. हम ऐसा कर रहे हैं.”
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उन्होंने 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के लाल किले के प्राचीर से दिए भाषण को याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि न ही गोली, न ही गाली से बल्कि जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को गले लगाकर वहां की समस्या सुलझाया जा सकता है.