घर पर क्यों नहीं आता गुरुद्वारे वाले कड़ाह प्रसाद का स्वाद?

गुरुद्वारे में मिलने वाला कड़ाह प्रसाद या कड़ा प्रसाद सिर्फ एक हलवा नहीं, बल्कि एक पवित्र परंपरा का हिस्सा है जो सदियों से चली आ रही है। बहुत से लोग इसे घर पर बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन गुरुद्वारे के प्रसाद में जो अद्भुत स्वाद, सुगंध और मिठास होती है, वह कहीं और नहीं मिल पाती।

गुरुद्वारों में कड़ाह प्रसाद अथवा कड़ा प्रसाद बनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कई लोग घर पर आम दिनों में भी कड़ाह प्रसाद बनाने का मौका ढूंढते हैं, लेकिन जो स्वाद गुरुद्वारे के प्रसाद में आता है, वह घर के प्रसाद में कहां। ऐसा इसलिए है, क्योंकि गुरुद्वारे के प्रसाद में जो मिठास होती है वह सेवा भाव से ही आती है। प्रसाद में डलने वाली सामग्रियों में कोई अंतर नहीं होता, लेकिन जिस मन से यह तैयार किया जाता है उसकी वजह से स्वाद में भी अंतर आ जाता है।

यह है ‘कड़ाह’ का अर्थ

आइए पहले ‘कड़ाह’ इस शब्द के महत्व को समझते हैं। आखिर इस प्रसाद का नाम ‘कड़ाह प्रसाद’ क्यों रखा गया है। दरअसल, पंजाबियों में अधिकांश खाद्य सामग्री हांडी के बजाय कढ़ाही में पकाई जाती है। पंजाबियों में बड़ी कड़ाही को कड़ाह कहते हैं। जिस खाने को खूब चलाया जाता है और धीमी आंच में पकाया जाता है उसे भी कड़ाह कहते हैं।

स्वाद में क्यों है अंतर?

कई बार गुरुद्वारे के प्रसाद के स्वाद में भी अंतर दिखाई पड़ता है। आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों। दरअसल, वहां पर भी दो किस्म के लोग यह प्रसाद बनाते हैं। एक वे लोग जो ‘सेवा भाव’ भी बनाते हैं और दूसरे वे लोग जो यहां काम करने आते हैं। दोनों की भावनाओं में फर्क होने की वजह से प्रसाद के स्वाद में भी अंतर दिखाई पड़ता है। यही नहीं, गुरुद्वारे में बंटने वाले कड़ाह प्रसाद का रंग गाढ़ा होता है, जबकि घर पर बनाए प्रसाद का रंग हल्का होता है। वह इसलिए क्योंकि गुरुद्वारे में अधिक मात्रा में बनने वाले प्रसाद को पकाने में समय लगता है। इसे धीमी आंच में पकाया जाता है, इसलिए रंग गाढ़ा आता है।

विधि और सामग्री

कड़ाह प्रसाद बनाने की विधि निर्दिष्ट है और बनाना बहुत ही आसान। इसमें मुख्यत: चार चीजें समान मात्रा में पड़ती हैं। इस मुताबिक कड़ाह प्रसाद बनाने के लिए सबसे पहले एक बड़ा कप ले लें। यह तरीका प्रसाद बनाने के लिए प्रयोग होने वाली सामग्रियों का माप सटीक तरह से देता है। कड़ाह प्रसाद के लिए चार मुख्य सामग्रियों की आवश्यकता होती है, चीनी, घी, आटा और पानी। कई लोग इच्छानुसार ड्राई फ्रूट्स का प्रयोग भी करते हैं।

सबसे पहले एक-एक कप के अनुसार चारों सामग्रियों को निकाल लें। उसके बाद कड़ाही में एक कप घी डालकर उसे गर्म करें और फिर आटा डालकर मिला लें। उसके बाद देर तक उसे चलाते रहें, जब तक खुशबू न आने लगे। इसके बाद एक कप पानी डालकर चलाएं ताकि हलवे में गांठें न बन जाए। आखिर में चीनी मिलाकर खूब चलाएं, जब तक हलवा घी न छोड़ दे।

विकल्प : कई लोग कड़ाह प्रसाद में चीनी के विकल्प में गुड़ का प्रयोग करते हैं। दरअसल, जिस स्थान पर प्रसाद बनाया जा रहा है, वहां चीजों की उपलब्धताओं को देखकर ही इसे तैयार किया जाता है।

कड़ाह प्रसाद से जुड़ी तीन अहम बातें

1) प्रसाद दिन में एक बार ही बनता है और पूरे दिन वही बंटता भी है। ऐसे में इसे बनाने के दौरान किसी ऐसी सामग्री का प्रयोग न हो जो जल्दी खराब हो जाती हो।

2) किसी भी यात्रा से वापस लौटते वक्त प्रसाद लाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसलिए इस बात का ध्यान रखना होता है कि घी में प्रसाद बनाए जाए ताकि खराब होने की नौबत ही न आए।

3) विश्वास, सच्ची श्रद्धा और भावना के मिश्रण से प्रसाद में स्वाद आता है, लेकिन रेसिपी अगर एक ही होगी तो बेहतर कड़ाह प्रसाद बनाने के लिए 1:1:1:1 का देसी फार्मूला ही अपनाना चाहिए।

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