गौतम बुद्ध के विचार देंगे जीवन जीने की नई राह, कभी नहीं होंगे असफल

बोधि दिवस हर साल 8 दिसंबर को मनाया जाता है। यह वह पावन दिन है, जब राजकुमार सिद्धार्थ गौतम को बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और वे गौतम बुद्ध बने थे। यह दिन हमें बुद्ध के उन विचारों की याद दिलाता है, जो न केवल जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं, बल्कि व्यक्ति को कभी भी असफल न होने की प्रेरणा भी देते हैं। आइए बोधि दिवस के शुभ मौके पर गौतम बुद्ध जी के विचार पर नजर डालते हैं।
गौतम बुद्ध के विचार
“अप्प दीपो भव” (अपना दीपक स्वयं बनो)
अर्थ: बुद्ध ने सिखाया कि अपने जीवन में किसी और पर निर्भर न रहो। अपने विवेक, अपनी बुद्धि और अपने प्रयासों से ही अपनी राह खोजो। यानी जब आप अपनी समस्याओं का समाधान खुद ढूंढना शुरू करते हैं, तो असफलता के मौके कम हो जाते हैं।
“क्रोध में रहना, गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने जैसा है; इसमें आप खुद जलते हैं।”
अर्थ: क्रोध व्यक्ति को अंदर से जलाता है और सोचने-समझने की शक्ति को नष्ट कर देता है। यानी सफल होने के लिए शांत मन और स्पष्ट सोच बहुत जरूरी है। क्रोध से मुक्ति हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है और रिश्तों को मजबूत बनाती है।
“अतीत जा चुका है, भविष्य अभी आया नहीं है। सिर्फ वर्तमान पास में है। इसी में जीवन है।”
अर्थ: हमें न तो अतीत की चिंता में डूबना चाहिए और न ही भविष्य की कल्पना में खोना चाहिए। हमें अपने वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए। आसान शब्दों में कहा जाए, तो वर्तमान पर ध्यान देने से हमें अपने कामों में अधिक सफलता मिलती है। यह हमें ‘कल कर लेंगे’ की आदत से बचाता है और हर पल को बेहतर बनाता है।
“हम जो सोचते हैं, वही बन जाते हैं।”
अर्थ: हमारे विचार ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। सकारात्मक सोच हमें सफलता की ओर ले जाते हैं। अगर आप खुद को सफल मानते हैं और उसके लिए सोचते हैं, तो आप जरूर सफल होंगे।
“हजारों लड़ाइयों को जीतने से बेहतर है खुद को जीतना। तब जीत हमेशा तुम्हारी होगी। इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता।”
अर्थ: बाहरी शत्रुओं को हराने से ज्यादा महत्वपूर्ण है अपनी बुराइयों, अपनी कमजोरियों और अपनी नकारात्मक आदतों को हराना। यानी खुद पर नियंत्रण और आत्म-सुधार सबसे बड़ी विजय है। जो व्यक्ति खुद को जीत लेता है, वह जीवन में किसी भी चुनौती से नहीं डरता और कभी असफल नहीं होता है।





