गणेश जी को क्यों कहा जाता है एकदंत
गणेश जी के एक टूटे हुए दांत के कारण उन्हें एकदंत भी कहा जाता है। गणेश जी का दांत टूटने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा महाभारत ग्रंथ की रचना से संबंधित है तो दूसरी परशुराम जी से। चलिए जानते हैं कि आखिर किस प्रकार गणेश जी का नाम एकदंत पड़ा।
पूरे देश में गणेश महोत्सव की धूम है, जिसकी शुरुआत गणेश चतुर्थी यानी 27 अगस्त से हुई थी। अनंत चतुर्दशी यानी 6 सितंबर को गणेश विसर्जन किया जाएगा। गणेश जी को प्रथम पूज्य देव, विघ्नहर्ता जैसे कई नामों से जाना जाता है। गणेश जी का एक नाम एकदंत भी है, जिसके पीछे एक बहुत ही रोचक कथा मिलती है। चलिए जानते हैं इस कथा के बारे में।
महाभारत लिखने की कथा
एक बार वेद व्यास, महाभारत ग्रंथ लिखने का प्रस्ताव लेकर गणेश जी के पास पहुंचे। गणेश जी ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, लेकिन इसके साथ ही महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी के सामने इस ग्रंथ को लिखने की शर्त कुछ शर्तें भी रखीं। जिसके अनुसार, गणेश जी को बिना रुके लगातार इस ग्रंथ को लिखना था और वह हर वाक्य या श्लोक का अर्थ समझने के बाद ही उसे लिखेंगे।
इसलिए तोड़ा अपना दांत
गणेश जी ने वेद व्यास की सभी शर्तें मान लीं और महाभारत ग्रंथ को लिखना प्रारंभ किया। वेदव्यास जी के बोलने की गति इतनी तेज थी कि गणेश जी की कलम कई बार टूट गई। तब उन्होंने अपना एक दांत तोड़ लिया और उसे एक कलम के तौर पर इस्तेमाल किया। इसी कारण भगवान गणेश को ‘एकदंत’ कहा जाता है।
यह कथा भी है प्रचलित
वहीं कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती और भगवान शिव विश्राम कर रहे थे और इस दौरान गणेश जी यह सुनिश्चित कर रहे थे कि उनके विश्राम में कोई बाधा न पहुंचे। इस दौरान परशुराम जी महादेव से मिलने पहुंचे हैं। तब गणेश जी ने उन्हें शिव जी से मिलने से रोक देते हैं।
इससे परशुराम जी बहुत क्रोधित हो जाते हैं और उनका गणेश जी से युद्ध छिड़ जाता है। जब परशुराम जी गणेश जी से पराजित हो जाते हैं, तो इससे उनका क्रोध और भी बढ़ जाता है। तब वह अपने फरसे से प्रहार करते हैं, जिस कारण गणेश जी का एक दांत टूट जाता है।