खिलौनों की दुकान में लगी आग, दम घुटने से बुजुर्ग कारोबारी की मौत

नवाबगंज क्षेत्र के सराफा मार्केट में रविवार तड़के शार्ट सर्किट से खिलौनों की दुकान में आग लग गई, जिसकी वजह से पीछे के कमरे में सो रहे बुजुर्ग कारोबारी की दम घुटने से मौत हो गई। देखते ही देखते लपटें ऊपर की ओर उठीं। आग और धुआं देख पहली मंजिल पर रहने वाले दो परिवारों के सदस्यों ने पड़ोसी की छत फांदकर जान बचाई। पुलिस और फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियां ने करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझाई।
35 हजार रुपये की नकदी और चार लाख रुपये का माल जल गया है। नवाबगंज सराफा मार्केट में जय प्रकाश गुप्ता (85) की पिता श्यामलाल के नाम से 122 वर्ष पुरानी मिठाई की दुकान है। वह कुछ समय से तीन मंजिला बिल्डिंग के भूतल में खिलौने का कारोबार कर रहे थे। मिठाई का व्यापार उनके पौत्र आयुष संभाल रहे हैं। बिल्डिंग के भूतल में नवाबगंज निवासी मनोज जैन की कपड़ों की दुकान है। उसके बगल की दो दुकानों में जय प्रकाश गुप्ता खिलौनों का कारोबार कर रहें थे।
दुकान के ठीक पीछे आंगन और उसके बाद उनका कमरा है। जय प्रकाश की पत्नी कमला देवी काफी समय पहले दिवंगत हो गईं। बेटे प्रदीप का 2004 में बीमारी के चलते, जबकि सुशील गुप्ता का 2001 हादसे में निधन हो चुका है। तीसरा बेटा संजय घर के पास ही रहता है। सुशील की पत्नी अर्चना बेटे तुषार और प्रदीप की पत्नी रेशम बेटी आंशी व बेटे आयुष के साथ प्रथम तल पर रहती हैं। आंशी इन दिनों पुणे में सीए की तैयारी कर रही हैं।
रविवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे अचानक खिलौनों की दुकान से धुआं निकलना शुरू हो गया। देखते ही देखते आग की लपटें उठने लगी। मोहल्ले में चीख पुकार मच गई। नवाबगंज पुलिस और फायर ब्रिगेड कर्मी आ गए। उन्होंने बचाव कार्य शुरू किया। लपटें पहली मंजिल को चपेट में लेने लगीं। पहली मंजिल पर सो रहे दोनों अर्चना, रेशम, तुषार, आयुष में चीख पुकार मच गई। उन्होंने पड़ोसी अनिल रावत के मकान में फांदकर जान बचाई। फायर ब्रिगेड ने आग बुझाई। आंगन और कमरे में धुआं ही धुआं भरा हुआ था। दमकल कर्मियों ने मशक्कत कर बुजुर्ग कारोबारी को बाहर निकाला और हैलट ले गए। यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मुख्य अग्निशमन अधिकारी दीपक शर्मा ने बताया कि प्रथम दृष्टया आग शॉर्ट सर्किट से लगी है। हादसे के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि दमकलकर्मी अगर समय पर आते और उनके पास ऑक्सीजन सिलेंडर व किट होती तो कमरे में फंसे बाबा को समय से अस्पताल पहुंचाकर बचाया जा सकता था।