क्यों Oman में नहीं दिखतीं दुबई जैसी ऊंची इमारतें?

जब खाड़ी के अन्य देश आसमान को छूती गगनचुंबी इमारतें बनाने की होड़ में लगे थे, तब ओमान ने कुछ अलग ही रास्ता चुना। ओमान ने ऊंचाई के बजाय जमीन से जुड़ा रहना पसंद किया। यही कारण है कि राजधानी मस्कट में आपको कोई भी बहुत ऊंची इमारत नहीं दिखेगी। यहां की छतें आमतौर पर सात या आठ मंजिल तक ही सीमित हैं। ओमान अपनी विशाल खाली जगहों का इस्तेमाल करके अपनी वास्तुकला को चौड़ाई में फैलाता है, न कि ऊंचाई में। आइए, विस्तार से जानते हैं इस बारे में।

मस्कट की भव्य मस्जिद और भारत का खास कनेक्शन
मस्कट में स्थित ‘सुल्तान काबूस ग्रैंड मस्जिद’ वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है। ओमान के पूर्व सुल्तान, काबूस बिन सैद अल सैद के नाम पर बनी यह मस्जिद 5,476 वर्ग मीटर में फैली है। यहां गैर-मुस्लिमों को भी आने की अनुमति है।

इस मस्जिद का भारत से एक बहुत गहरा और खास रिश्ता है। इसे बनाने में 3,00,000 टन भारतीय बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, जिसे भारत के 200 कारीगरों ने तराशा था। इसके मुख्य प्रार्थना कक्ष में एक साथ 6,500 लोग नमाज पढ़ सकते हैं।

सिर्फ इतना ही नहीं, इस मस्जिद के अंदर है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा झूमर। यह क्रिस्टल का बना झूमर 8.5 टन वजनी है। यह इतना विशाल है कि इसकी सफाई के लिए सफाईकर्मी को इसके अंदर घुसना पड़ता है ताकि क्रिस्टल चमकते रहें।

पहाड़ों से प्रेरित एक अनोखा म्यूजियम
ओमान का आधुनिक आर्किटेक्चर भी कमाल का है। राजधानी मस्कट से डेढ़ घंटे की दूरी पर निजवा में बना ‘ओमान अक्रॉस एजेस म्यूजियम’ इसका सबूत है। इसका डिजाइन ऑस्ट्रेलिया की फर्म कॉक्स आर्किटेक्चर ने तैयार किया है, जो ओमान के ‘अल हजर’ पहाड़ों के नुकीले आकार से प्रेरित है।

साल 2023 में पूरा हुआ यह संग्रहालय 1,20,000 वर्ग मीटर में फैला है। यहां की गैलरी में ओमान के 800 मिलियन (80 करोड़) साल पुराने इतिहास को बहुत ही शानदार तरीके से दिखाया गया है।

ओमान के पहाड़, जहां सर्दियों में गिरती है सफेद बर्फ
ओमान का असली जादू इसकी इमारतों के बाहर है। मस्कट से ढाई घंटे की ड्राइव पर ‘जबाल अखदर’ स्थित है, जिसे ओमान का ‘ग्रीन माउंटेन’ भी कहा जाता है। यह कुछ हिस्सों में 3,000 मीटर से भी अधिक ऊँचा है। वहीं, देश की सबसे ऊंची चोटी ‘जेबेल शम्स’ 3,018 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

मस्कट की चिलचिलाती गर्मी के विपरीत, यहां का मौसम भूमध्यसागरीय जैसा ठंडा होता है। सर्दियों में यहां इतनी ठंड पड़ती है कि कभी-कभी बर्फबारी भी देखने को मिलती है। यहां केवल फोर-व्हील ड्राइव गाड़ियों से ही पहुंचा जा सकता है, क्योंकि यहां की सड़कें काफी खड़ी और घुमावदार हैं।

500 साल पुराना गांव और जिपलाइन से आता खाना
जबाल अखदर में ‘द सुवग्रा’ नाम का एक गांव है, जो 500 साल पुराना है। यह एक चट्टान के किनारे बसा है और यहां आज भी ओमान की प्राचीन जीवनशैली देखने को मिलती है। यहां तक गाड़ी से नहीं पहुंचा जा सकता।

गांव तक पहुंचने के लिए आपको गाड़ी पार्क करके 500 सीढ़ियां नीचे उतरनी पड़ती हैं, एक पुल पार करना होता है और फिर दूसरी तरफ पहाड़ी पर चढ़ना होता है। यह चढ़ाई आसान नहीं है, लेकिन ऊपर पहुंचने पर जो नजारा और खाना मिलता है, वह सारी थकान मिटा देता है।

गुलाबों की खुशबू और इत्र का जादू
जबाल अखदर की पहाड़ियां वसंत और शुरुआती गर्मियों में ‘दमिश्क गुलाब’ की खुशबू से महक उठती हैं। इन गुलाबों को तोड़कर ‘अमुआज’ परफ्यूम हाउस भेजा जाता है, जो दुनिया के सबसे महंगे इत्र बनाने के लिए जाना जाता है। अगर आप ओमान जाएं, तो मस्कट या निजवा के बाजारों से ‘ऊद’ और कस्तूरी की खुशबू लेना न भूलें।

कहां है ओमान और कैसे पहुंचें?
यह अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है। इसकी सीमाएं यमन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से मिलती हैं। बता दें, भारत के कई शहरों से ओमान के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। ओमान एयर, इंडिगो और एयर इंडिया एक्सप्रेस जैसी एयरलाइंस यह सेवा देती हैं। दिल्ली से मस्कट पहुंचने में लगभग 3.5 घंटे और मुंबई से 3 घंटे लगते हैं।

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