
नई दिल्ली (28 सितंबर) : कुछ ही दिन पहले सऊदी अरब को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में शामिल किया गया है। और आज एक युवक का सिर कलम कर मौत की सज़ा देने की तैयारी कर ली गई।
अली मोहम्मद अल निमर नाम के इस युवक को 2012 में लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन को बढ़ावा देने के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई थी। उस वक्त अली की उम्र महज़ 17 साल थी।
अली को सज़ा पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून के लिए प्रतिबद्धता का सरासर उल्लंघन बताया था।
बता दें कि एनोनिमस नाम के हैकर्स एक्टिविस्ट के एक समूह ने 26 सितंबर को सऊदी सरकार की कई वेबसाइट बंद कर दी। फिर उन्होंने ट्विटर पर हैशटैग OpNimr के साथ निमर को मौत की सज़ा देने के विरोध में प्रतिक्रियाओं की झड़ी लगा दी।
इन एक्टिविस्ट ने सऊदी अरब सरकार और सऊदी किंग सलमान के नाम एक बयान जारी कर कहा है कि “अगर एक निर्दोष युवा किशोर लड़के को सऊदी अरब में मौत की सज़ा दी गई तो हम चुपचाप खड़े देखते नहीं रहेंगे। 13 जज अली की मौत की सज़ा पर मुहर लगा चुके हैं। अब सिर्फ किंग सलमान को ही इसका अनुमोदन करना है। हम ऐसा किसी सूरत में नहीं होने देंगे।”
फ्रांस के राष्ट्रपति समेत कई देशों के प्रमुख और कई सेलेब्रिटीज़ ने अली के समर्थन में आवाज़ उठाई है। फ्रांस के राष्ट्रपति ने अली की मौत की सज़ा पर रोक लगाने की अपील की है। ब्रिटेन में विपक्ष के नए नेता जेरेमी कोरबाइन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को चिट्ठी लिखकर इस मामले में दखल देने की मांग की है।
दो हफ्ते पहले अली की इस मामले में आखिरी अपील भी खारिज कर दी गई थी। अली की मौत की सज़ा पर अमल होता है तो उसका सिर कलम कर शरीर को चौराहे पर लटका दिया जाएगा।