कार्तिक पूर्णिमा – गुरु नानक जयंती पर दुर्लभ संयोग

05 नवंबर 2025 के अनुसार, आज यानी 05 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली और गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इन सभी त्योहारों का खास महत्व है। इस दिन दीपदान और गंगा स्नान करना चाहिए।

आज यानी 05 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है। इसी दिन देव दीपावली और गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करने अत्यंत शुभ माना जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान और दीपदान करने से साधकों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं गुरुद्वारों में गुरुवाणी और लंगर का आयोजन किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।

तिथि: शुक्ल पूर्णिमा
मास पूर्णिमांत: अश्विन
दिन: बुधवार
संवत्: 2082

तिथि: शुक्ल पूर्णिमा सायं 06 बजकर 48 मिनट तक
योग: सिद्धि प्रातः 11 बजकर 28 मिनट तक
करण: विष्टि प्रातः 08 बजकर 44 मिनट तक
करण: बव सायं 06 बजकर 48 मिनट तक
करण: 6 नवंबर को बालव प्रातः 04 बजकर 51 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 36 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 33 मिनट पर
चंद्रोदय: सुबह 05 बजकर 11 मिनट पर
चन्द्रास्त: आज चंद्रास्त नहीं होगा

सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: मेष
पक्ष: शुक्ल

आज के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त: कोई नहीं
अमृत काल: 6 नवम्बर को प्रातः 02 बजकर 23 मिनट से 03 बजकर 47 मिनट तक

आज के अशुभ समय

राहुकाल: दोपहर 12 बजकर 04 बजे से 01 बजकर 27 मिनट तक
गुलिकाल: प्रातः 10 बजकर 42 बजे से दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 07 बजकर 58 बजे से 09 बजकर 20 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव अश्विनी नक्षत्र में रहेंगे…
अश्विनी नक्षत्र- प्रातः 09 बजकर 40 मिनट तक, फिर भरणी नक्षत्र
सामान्य विशेषताएं: सुंदर व्यक्तित्व, आभूषण-प्रिय, तेज बुद्धि, निपुण, यात्राप्रिय, स्वस्थ, जोशीले, नेतृत्व क्षमता, खेल-प्रिय, अधीर, आक्रामक और क्रोधी
शासक ग्रह: केतु देव
राशि स्वामी: मंगल देव
देवता: अश्विनी कुमार
प्रतीक: घोड़े का सिर

देव दीपावली का धार्मिक महत्व
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली एक पवित्र और अद्भुत रात है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, जिससे देवताओं ने प्रसन्न होकर दीप जलाकर इस उत्सव को मनाया। इसी कारण इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है।

वाराणसी में यह पर्व विशेष भव्यता से मनाया जाता है, जहां गंगा तट दीपों की रोशनी से जगमगा उठता है। इस दिन गंगा स्नान, दीपदान, और भगवान शिव-भगवान विष्णु की आराधना अत्यंत शुभ मानी जाती है। देव दीपावली आत्मशुद्धि, भक्ति और दिव्यता का अद्भुत प्रतीक है।

देव दीपावली 2025 पूजा टाइम

देव दीपावली के दिन पूजा और आरती का समय शाम 05 बजकर 15 मिनट से लेकर 07 बजकर 50 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय गंगा आरती और दीपदान किया जा सकता है।

देव दीपावली पूजा विधि:
प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
घर या मंदिर में भगवान शिव और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
दोनों देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प, धूप, दीप अर्पित करें।
भगवान शिव को बिल्वपत्र तथा भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें।
संध्या के समय घर, मंदिर या नदी तट पर दीप जलाएं और दीपदान करें।
“ॐ नमः शिवाय” और “ॐ नमो नारायणाय” मंत्रों का जप करें।
अंत में देवताओं से पाप क्षय, समृद्धि और दिव्य प्रकाश की प्रार्थना करें।

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