कानपुर: डॉ. संजय काला बोले- स्टेम सेल के मामलों में की गई शिकायत फर्जी

डॉ. काला ने कहा कि मैने कई अस्पतालों की हिस्ट्री भी निकाली है, जहां रोजाना स्टेम सेल थैरेपी हो रही है। इसमें दिल्ली, लखनऊ और कानपुर तक के निजी अस्पताल शामिल हैं। वहां इस इलाज की कीमत 2.95 लाख है। पत्र में आरोप लगाया कि हम करोड़ों कमाए जबकि हमारे यहां तो ये 400 रुपये में ही होती है।

कानपुर में स्टेम सेल थैरेपी मामले में की गई शिकायत को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने फर्जी बताया है। उनका कहना है कि दोनों शिकायतकर्ता वाराणसी से अनिल कुमार राय और दिल्ली से अवनीश मैथानी ने अपना पता सही नहीं लिखा है, पिनकोड गलत लिखा है। बिना हस्ताक्षर के शिकायती पत्र भेजा है।

प्राचार्य ने कहा कि शिकायत का आधार सिर्फ अखबार की कटिंग है। ऐसे में अगर हम किसी भी कार्रवाई के लिए आगे बढ़ते हैं तो लिखित दस्तावेज की जरूरत होगी। शिकायतकर्ता ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और उसके फैकल्टी के खिलाफ शिकायत की है। जीओ है कि क्लास वन गस्टेड अधिकारी के खिलाफ तब तक कोई शिकायत मानी नहीं जाएगी जब तक वह शपथ पत्र पर लिखकर न दे, ताकि शिकायतकर्ता मुकर न सके।

नेशनल मेडिकल कमीशन को भी अवगत कराया
पहले शिकायतकर्ता अनिल राय ने खुद को हाईकोर्ट का अधिवक्ता बताया। हमने जानकारी जुटाई तो वहां चार अनिल कुमार राय नाम के अधिवक्ता मिले पर उनमें ये नहीं है। दूसरे शिकायतकर्ता अवनीश से दस दिन पहले बात की, तो उन्होंने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता नहीं है। मैंने उनसे कहा कि आपको आकर बयान दर्ज कराने होंगे। इस पर आज तक उनका जवाब नहीं आया है। हमने नेशनल मेडिकल कमीशन को भी इस मामले में अवगत करा दिया है।

मेडिकल कॉलेज में सिर्फ 400 रुपये में होती थैरेपी
डॉ. काला ने कहा कि मैने कई अस्पतालों की हिस्ट्री भी निकाली है, जहां रोजाना स्टेम सेल थैरेपी हो रही है। इसमें दिल्ली, लखनऊ और कानपुर तक के निजी अस्पताल शामिल हैं। वहां इस इलाज की कीमत 2.95 लाख है। पत्र में आरोप लगाया कि हम करोड़ों कमाए जबकि हमारे यहां तो ये 400 रुपये में ही होती है। इसके अलावा आधे रोगियों की फीस हम माफ कर देते हैं। थैरेपी में प्रयोग होने वाली किट अस्पताल में नहीं है, रोगी को इसे खुद लाना पड़ता है।

जांच के लिए मेडिकल कॉलेज आएगी कमेटी
लाइलाज बीमारी को ठीक करने के लिए दी जा रही स्टेम सेल थैरेपी के मामले की जांच के लिए बनी कमेटी जल्द ही जांच शुरू करेगी। कमेटी सबसे पहले मेडिकल कॉलेज आएगी। तीन महीने पहले ड्रग विभाग और केंद्रीय कमेटी ने भी यहां से साक्ष्य जुटाए थे। स्टेम सेल से इलाज कराने वाले रोगियों का आंकड़ा लिया था।

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