कांग्रेस ने नागरिकता कानून को रोकने के लिए चली नई चाल, लिया ये बड़ा फैसला…

कांग्रेस पार्टी ने संविधान विरोधी नागरिकता कानून को लेकर न्यायालय की शरण में जाने का फैसला किया है. कांग्रेस का यह फैसला चुनाव प्रचार के आखिरी दिन आया है. बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में विरोध जारी है. कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मध्‍यप्रदेश में संकल्‍प पारित किए जाने पर प्रसन्‍नता जाहिर की. उन्‍होंने ट्वीट किया, ‘ कमल नाथ जी को बधाई. अब NPR और NRC लागू नहीं करने का फैसला भी करना चाहिए.’

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मध्‍य प्रदेश सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ संकल्प पारित करते हुए भारत सरकार से आग्रह किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को निरस्त किया जाए. केरल पहला राज्‍य है जिसने इस कानून को लेकर अपना विरोध दर्ज कराते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. कांग्रेस शासित छत्‍तीसगढ़ सरकार ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता कानून को असंवैधानिक बताते हुए याचिका दाखिल की थी. पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी और केरल के पिनाराई विजयन की तरह कुछ राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों की ओर से यह कहा गया था कि वे नागरिकता संशोधन कानून को अपने राज्‍यों में लागू नहीं करेंगे. हालांकि संवैधानिक रूप से संसद द्वारा पारित कानून को लागू करने से इंकार करने का हक देश के किसी भी राज्य के पास नहीं है.

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लोकसभा व राज्‍यसभा में कांग्रेस ने इस कानून को लेकर जबरदस्त विरोध जाहिर किया है. उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश और अब्दुल खालिक की ओर से इस कानून के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी. असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून को जल्द ही निरस्त कर देग.सांसद खालिक ने कहा कि असम में इस कानून का विरोध कर रहे 90 फीसद लोग बहुसंख्यक समाज के हैं. उनके अनुसार, असम की जनता इस बात को लेकर स्‍पष्‍ट है कि  विदेशी नागरिक साबित होने के बाद  किसी भी धर्म का हो उसे जाना होगा.

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