कर्ज माफी, बीमा क्लेम और मुआवजा नहीं तो वोट नहीं

किसानों ने आरोप लगाया कि जिले में सबसे ज्यादा बारिश मांगरोल क्षेत्र में हुई, जिससे नदी-नालों के उफान ने कई लोगों की जान ले ली। कच्चे-पक्के मकान ध्वस्त हो गए और खेतों में बोई गई फसलें पूरी तरह गल-सड़कर बर्बाद हो गईं। पढ़ें पूरी खबर…।

बारां जिले में अत्यधिक बारिश से बर्बाद हुई फसलों के सही आकलन न होने और प्रशासन द्वारा गलत सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के विरोध में बुधवार को मांगरोल कृषि उपज मंडी में किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। संयुक्त किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर आयोजित पंचायत में 18 ग्राम पंचायतों के 70 गांवों से सैकड़ों किसान जुटे और प्रशासन के खिलाफ जोरदार आक्रोश जताया। किसानों ने चेतावनी दी कि अगर समूचे मांगरोल क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित कर बीमा क्लेम, मुआवजा और कर्ज माफी की मांग पूरी नहीं हुई तो आगामी विधानसभा उपचुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना होगा।

सही आकलन के बजाय गलत रिपोर्ट देने का आरोप
किसानों ने आरोप लगाया कि जिले में सबसे ज्यादा बारिश मांगरोल क्षेत्र में हुई, जिससे नदी-नालों के उफान ने कई लोगों की जान ले ली। कच्चे-पक्के मकान ध्वस्त हो गए और खेतों में बोई गई फसलें पूरी तरह गल-सड़कर बर्बाद हो गईं। इसके बावजूद प्रशासन ने नुकसान का सही सर्वे नहीं किया और कृषि मंत्री को गलत रिपोर्ट सौंप दी, जिसमें मांगरोल क्षेत्र में फसल खराबे को नकार दिया गया। इससे किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है।

हस्ताक्षर अभियान से हुआ सरकार तक संदेश
संयुक्त किसान संघर्ष समिति के संयोजक रामचंद्र मीणा के नेतृत्व में किसानों ने सात दिवसीय अभियान चलाया, जिसमें 20 हजार किसानों ने हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन तैयार किया। प्रत्येक किसान ने अपने वास्तविक नुकसान का ब्यौरा दिया और बुधवार को यह ज्ञापन उपखंड कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया। इस दौरान किसानों ने वाहन रैली निकालते हुए जोरदार नारेबाजी भी की।

बीमा क्लेम और कर्ज माफी की मांग पर अड़े किसान
किसानों ने साफ कहा कि पूरे मांगरोल क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित कर तत्काल बीमा क्लेम और मुआवजा दिया जाए, साथ ही संपूर्ण कर्ज माफ किया जाए। समिति पदाधिकारियों ने 10 दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि मांगें पूरी नहीं होने पर बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ा जाएगा।

पंचायत में बड़ी संख्या में किसान रहे मौजूद
किसान पंचायत में समिति संयोजक रामचंद्र मीणा, मीडिया प्रभारी महावीर मूंडली, उमाशंकर, हरिशंकर बालूंदा, जगमोहन रिंझिया, साहबलाल मीणा, कन्हैया मीणा, कृष्णमुरारी सीमल्या, राजेश महलपुर, राजेंद्र नागर, रामभरोस बैरवा सहित अनेक किसान मौजूद रहे। इसके अलावा मुकेश, हरिओम, धनराज, गिरिराज, सुखवीर, रामेश्वर बैरवा और भरत सहित सैकड़ों किसानों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर विरोध दर्ज कराया।

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