हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: एसिड अटैक पीड़िता को सरेआम मिले सजा
एसिड अटैक पीड़िता का फोटो देखकर जज विचलित हो गए और फिर उन्होंने तेजाब फेंकने वालों को लेकर कड़ी टिप्पणी कर डाली। चेहरे पर तेजाब फेंककर उसे बदसूरत बनाने, जिंदगी नर्क तुल्य बनाने और असहनीय दर्द देने वालों को सरेआम सजा दी जानी चाहिए। हमारे देश में ऐसा अभी तक प्रावधान नहीं है, लेकिन विदेश में सजा के तरीके की तर्ज पर लॉ कमीशन को इस पर विचार करना चाहिए।
यह टिप्पणी एसिड अटैक पीड़ितों को हक दिलाने के लिए दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एके मित्तल तथा जस्टिस अमित रावल की खंडपीठ ने की। मामले की सुनवाई आरंभ होते ही वह याचिका हाईकोर्ट के समक्ष पहुंची, जिसमें एसिड अटैक पीड़ितों की फोटो दिखाई गई थी। इन फोटो को देखते ही जज विचलित हो गए और कहा कि कैसे कोई किसी के साथ ऐसा कर सकता है।
यह तो हत्या से भी बड़ा अपराध है क्योंकि मौत से अंत हो जाता है लेकिन एसिड अटैक झेलने वाला पूरी जिंदगी नर्क की तरह बिताने को मजबूर हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों के लिए केवल मुआवजा काफी नहीं है बल्कि उनके लिए नौकरी का प्रावधान होना चाहिए। इसके साथ ही इस प्रकार के अपराधों पर रोक के लिए सजा को और कठोर किया जाना जरूरी है।
कोर्ट ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ अगली सुनवाई पर पीड़ितों की संख्या से जुड़े आंकड़े हाईकोर्ट में सौंपे जाएं ताकि इस विषय पर हाईकोर्ट उचित आदेश जारी कर सके। लॉ कमीशन को चाहिए कि वे विदेश की तर्ज पर ऐसे अपराध के दोषियों के लिए सरेआम सजा का प्रावधान करें ताकि कोई भी व्यक्ति ऐसा अपराध करने से पहले हजार बार सोचे।
बहुत जरूरी न होने पर दोषियों को न दी जाए राहत
इस प्रकार के मामलों में जब तक अति आवश्यक न हो दोषियों को बेल या अन्य कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बच्चों को पाल कर बड़ा करना बेहद मुश्किल होता है और यदि उन पर इस तरह की विपत्ति आ जाए तो न केवल बच्चों की बल्कि परिजनों की जिंदगी भी नर्क तुल्य हो जाती है। ऐसे में सार्वजनिक तौर पर सजा देना एक उदाहरण पेश करने वाला कदम होगा।