इलाज कराते-कराते पैसे खत्म हुए तो मरीज को परिजनों सहित बनाया बंधक


सीतापुर के रेउसा थाने के भैंसहां निवासी मनोज कुमार (15) बीती 27 अप्रैल को सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो गया था। मामा कौशल किशोर और भाई अनूप कुमार ने बताया कि पहले स्थानीय अस्पताल में इलाज चला। हालत नहीं सुधरी तो डॉक्टरों ने 30 अप्रैल को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया।
ये भी पढ़े: यूपी- हिन्दू युवा वाहिनी के इस नेता के बड़े बोल, कहा- सीएम योगी की नही सिर्फ मेरी…
कुछ दिन इलाज चलने के बाद डॉक्टरों ने बलरामपुर अस्पताल ले जाने की सलाह दी। तीन मई को मरीज को बाहर लेकर निकले तो एक अफजल नाम के दलाल ने कहा कि उसका अस्पताल बर्लिंग्टन चौराहे के पास है। सात दिन में मरीज ठीक हो जाएगा और एक लाख रुपये का खर्च होंगे। अफजल ने खुद एंबुलेंस बुलाई और कुछ देर में मरीज को एफआई अस्पताल पहुंच दिया।
वहां डॉक्टरों ने आईसीयू में भर्ती किया और बताया कि बीस लाख रुपये खर्चा होंगे। डॉक्टरों से हाथ जोड़ते हुए भाई की जान बचाने के लिए गुहार लगाई तो कहा गया कि जितना पैसा है उतना जमा करो ताकि इलाज शुरू किया जा सके। सबसे पहले 50 हजार रुपये जमा कराए।
17 दिन आईसीयू और 22 दिन वार्ड में रखने के करीब साढ़े छह लाख वसूल लिए लेकिन हालत नहीं सुधरी। परिवारीजनों का आरोप था कि अस्पताल में इलाज के नाम पर लूट खसोट का आलम ये है कि इलाज और दवा का बिल तक नहीं दिया जाता है।
भाई अनूप और मामा कौशल किशोर ने बताया कि तीन दिन पहले पैसा खत्म हो गया तो डॉक्टरों ने इलाज बंद कर बंधक बना लिया। परिवारीजनों ने बच्चे के इलाज की गुहार लगाई तो डॉक्टरों ने कह दिया कि पैसा लाओ नहीं तो इलाज नहीं होगा। आरोप है कि साढ़े छह लाख रुपये देने के बाद भी डॉक्टर कह रहे थे कि 50 हजार रुपये बकाया हैं।
बकाया नहीं दोगे तो यहां से नहीं निकल पाओगे। पीड़ितों ने मामले की जानकारी रविवार को 100 नंबर पर दी जिसके बाद पुलिस ने समझा-बुझाकर मामला शांत कराया और मरीज को छोड़ने के लिए कहा। शाम करीब साढे़ सात बजे परिवारीजन मरीज को दूसरे अस्पताल लेकर चले गए।
घर में खाने तक का नहीं बचा पैसा
अनूप ने बताया कि पिता और माता जी का पहले ही देहांत हो चुका है। घर खर्च और भाई की पढ़ाई खेती से अनाज बेच कर हो रही है। डॉक्टरों ने जो कुछ था सब बिकवा दिया। मामा कौशल किशोर का आरोप है कि डॉक्टरों ने इलाज के बहाने जो लूट खसोट की है उससे घर की पूरी स्थिति खराब हो गई है। अब इलाज तो दूर खाने तक का कोई इंतजाम नहीं है। इस बात की चिंता सता रही है कि आखिर अब मनोज की जान कैसे बचेगी और घर का खर्च कैसे चलेगा।
लिखित शिकायत पर कराएंगे जांच
मरीज के इलाज पर साढ़े छह लाख रुपये का बिल बनाने या मरीज तीमारदार को बंधक बनाने की जानकारी मिली थी। मरीज के तीमारदार इलाज संबंधी कागजात के साथ लिखित शिकायत करेंगे तो मामले की जांच कराई जाएगी। इलाज के नाम पर मनमाने ढंग से वसूली बर्दाश्त नहीं होगी। – डॉ. जीएस वाजपेई, सीएमओ
हंगामे की शिकायत पर पहुंची थी पुलिस
मरीज को बंधक बनाने और हंगामे की सूचना के बाद टीम अस्पताल पहुंची थी। इलाज का 50 हजार रुपये का बिल बकाया था जिसकी वजह से विवाद हुआ था। परिवारीजन मरीज को लेकर चले गए। किसी पक्ष की तरफ से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। तहरीर मिलने पर जांच कराई जाएगी। मरीज ने बंधक बनाने की कोई बात नहीं बताई थी। -डीके उपाध्याय, कोतवाली प्रभारी, कैसरबाग
आरोप गलत
37 दिन मरीज का इलाज चला था, जिसके लिए दो लाख रुपये लगे थे। मरीज के तीमारदार को किसी दूसरे अटेंडेंट ने भड़का दिया जिसकी वजह से ये विवाद हुआ। पुलिस से सूचना मिलने के बाद मामला सुलझा लिया गया था। साढ़े छह लाख रुपये खर्च कराने का आरोप गलत है। तीमारदार से ये लिखवा लिया गया था कि उसे अस्पताल से कोई दिक्कत नहीं है। मरीज के पास पैसे नहीं थे जिसके बाद उसे अपनी एंबुलेंस से दूसरे अस्पताल भिजवाया गया।- सुहेल, संचालक, एफआई अस्पताल