आज लद्दाख के उपराज्यपाल बनेंगे कविंद्र गुप्ता…

शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले गुरुवार को कविंद्र गुप्ता सपरिवार लद्दाख पहुंच गए। कविंद्र गुप्ता ने कहा कि वे प्रशासन व जनता के बीच सेतु का काम करेंगे।

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को उसका नया उपराज्यपाल शुक्रवार को मिल जाएगा। जम्मू के कविंद्र गुप्ता सुबह 10ः30 बजे राजभवन लद्दाख में शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले गुरुवार को वे सपरिवार लद्दाख पहुंच गए। कविंद्र गुप्ता ने कहा कि वे प्रशासन व जनता के बीच सेतु का काम करेंगे। नवनियुक्त एलजी गुप्ता ने बताया कि जम्मू-कश्मीर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा, विधायक डॉ. देवेंद्र मन्याल, विक्रम रंधावा समेत पार्टी के कार्यकर्ता व पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।

लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह के चेयरमैन ताशी ग्यालसन, (एलएएचडीसी) कारगिल के चेयरमैन डॉ. मो. जफर अखून, सांसद हनीफा जान समेत यूटी के गणमान्य लोगों को भी आमंत्रित किया गया है।

परिवार के लिए गर्व व खुशी का क्षण कविंद्र गुप्ता का परिवार भी इस वक्त उनके साथ लद्दाख में है। पत्नी बिंदु गुप्ता, बड़ी बेटी डॉ. चारु गुप्ता और दामाद साहिल धीर, छोटी बेटी पारुल गुप्ता और दामाद विपुल जैन और बेटा राघव गुप्ता के अलावा भाई दीपक गुप्ता भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे। पत्नी बिंदु गुप्ता ने कहा कि ये पूरे परिवार के लिए गर्व और खुशी का क्षण है। देश की सेवा करने का मौका मिला है।

लद्दाख को नई राजनीतिक व प्रशासनिक दिशा मिलने की उम्मीद
गुप्ता को राजनीति में लंबा अनुभव है। वर्ष 2019 तक लद्दाख जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था। उस दौरान उन्होंने उपमुख्यंत्री के तौर पर भी काम किया था। माना जा रहा है कि वे क्षेत्र के मुद्दों और आकांक्षाओं से परिचित हैं। एलजी के रूप में उनकी नियुक्ति से केंद्र शासित प्रदेश को नई राजनीतिक और प्रशासनिक दिशा मिलने की उम्मीद है। यह प्रदेश वर्तमान में संवैधानिक सुरक्षा उपायों और विकास प्राथमिकताओं को लेकर चर्चाओं में है।

यूटी लद्दाख के तीसरे उपराज्यपाल
कविंद्र गुप्ता लद्दाख के तीसरे उपराज्यपाल हैं। इससे पहले सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा लद्दाख के एलजी थे। उनसे पहले लद्दाख के पहले एलजी बने थे राधाकृष्ण माथुर। हालांकि केंद्र शासित प्रदेश में आंदोलन सही ढंग से नहीं संभाल पाने की कीमत उन्हें चुकानी पड़ी थी। जाने माने शिक्षाविद व पर्यावरण विद सोनम वांगचुक ने लद्दाख को विशेष दर्जा देने की मांग करते हुए आंदोलन की शुरुआत की थी।

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