अमेरिका में एच-1बी वीजा मामले में फंसे तीन भारतवंशी पर धोखाधड़ी का आरोप तय
किशोर सैंटा कालरा के रहने वाले हैं, जबकि कुमार ऑस्टिन (टेक्सास) और संतोष सैन जोस के रहने वाले हैं। अभियोजक डेविड एंडरसन ने बताया कि किशोर, कुमार और संतोष पर नौकरियों के लिए धोखाधड़ी कर एच-1बी वीजा आवेदन जमा करने का आरोप लगाया गया है। बताया जा रहा है कि तीनों एक सलाहकार कंपनी चलाते थे और लोगों को नौकरी दिलाने के बहाने ये नकली एच-1बी वीजा के आवेदन जमा करते थे। वे वीजा आवेदन में लिखते थे कि लोगों को लिए नामित कंपनी में नौकरी है, जबकि असल में ऐसी कोई नौकरी होती ही नहीं थी। इसका मकसद अपने अन्य ग्राहकों की कंपनियों में प्लेसमेंट के लिए पेशेवरों का एक पूल तैयार कर सकें। अभियोजक ने बताया कि दोषी पाए जाने पर इन्हें दस साल की सजा और जुर्माना लग सकता है।
एच-1बी वीजा के प्रावधानों में बदलाव
एच-1बी गैर आव्रजक वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को आईटी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। ट्रंप प्रशासन ने पिछले साल एच-1बी वीजा के प्रावधानों में बदलाव की घोषणा की थी। ताकि बेहद कुशल विदेशी पेशेवरों को ही वीजा मिल सके। यह नियम उस आदेश को उलट देता है, जिसके द्वारा अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा रेग्युलर कैप और उन्नत डिग्री छूट के तहत एच1बी वीजा दाखिल करने वालों का चयन कर सकते थे। पिछले साल 309,986 एच-1बी वीजा भारतीयों को मिले थे।