अब तक की बेस्ट थ्रिलर है अंधाधुन, उम्दा स्क्रिप्ट और एक्टिंग भी लाजवाब
फिल्म : अंधाधुन
निर्देशक : श्रीराम राघवन
कलाकार : आयुष्मान खुराना, तब्बू, राधिका आप्टे, अनिल धवन
समय अवधि : 2 घंटे 20 मिनट
सर्टिफिकेट : UA
स्टार्स : 4
श्रीराम राघवन एक अलग तरह का सिनेमा बनाने के लिए जाने जाते हैं. यही कारण है कि उन्होंने अब तक सिर्फ पांच फिल्में निर्देशित की हैं. जिनमें बदलापुर, एक हसीना थी, एजेंट विनोद और अब “अंधाधुन” नाम की थ्रिलर फिल्म. श्रीराम हमेशा से ही बढ़िया कहानी सुनाने के लिए जाने जाते हैं. इस बार भी जबसे अंधाधुन का ट्रेलर आया है, ऐसी फिल्म देखने वाले दर्शकों के दिल में अलग ही उत्साह है. वो इसे देखने के लिए आतुर भी हैं. फिल्म की कहानी क्या है, फिल्म बनी किस तरह से है, आइए समीक्षा करते हैं….
क्या है फिल्म की कहानी :
फिल्म की कहानी एक पियानो प्लेयर (आयुष्मान खुराना) की है, जो अंधा है. वो अपनी गर्लफ्रेंड राधिका आप्टे के रेस्टोरेंट में पियानो बजाकर गुजारा करता है. वहीं, दूसरी तरफ तब्बू हैं जिनको अमीर बनने के लिए एक सितारे (अनिल धवन) से शादी करनी पड़ती है. बाद में वो एक अमीर पत्नी भी कहलाई जाती हैं. सबकुछ ठीक चल रहा होता है, इसी बीच एक दिन अचानक से अनिल धवन की मौत हो जाती है. अनिल की मौत एक मर्डर मिस्ट्री बन जाती है. आक्षेप आयुष्मान खुराना पर भी लगता है. हालांकि वो अंधा है. तो उसने कैसे ये मर्डर देखा होगा, या अंधेपन की वजह से उसका चश्मदीद नहीं हो सकता है. यहीं से कहानी एक अलग मोड़ लेने लगती है. बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं. आखिरकार क्या होता है, क़त्ल किसने किया है और कौन है सबसे बड़ा दोषी, ये सबकुछ जानने के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी.
श्रीराम राघवन का नाम आते ही दर्शक एक अलग तरह की फिल्म का हिस्सा बन जाते हैं. ऐसी फिल्म जिसमें हर एक पल कुछ नया होने वाला है. अंधाधुन में भी ऐसा ही है. बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं. 10 वें मिनट में आप जो सोच रहे होते हो वो नहीं होता, कुछ अलग ही हो जाता है. स्क्रीन प्ले दमदार है. कहानी बहुत ही दमदार है. जिस तरीके से श्रीराम ने इसे सुनाया है वो फ्लेवर बहुत ही अलग और उम्दा हैं. कहा जा सकाता है कि ये इस साल की सर्वश्रेष्ठ थ्रिलर फिल्म है. इसे भारत के हिंदी सिनेमा के इतिहास में बने थ्रिलर फिल्मों में सबसे अलग मां सकते हैं.
आयुष्मान इस फिल्म के साथ एक बार फिर बिल्कुल अलग भूमिका में दिख रहे हैं. फिल्म में उन्होंने अपना सर्वोत्तम किया है. श्रीराम राघवन ने उनसे बेहतरीन काम निकलवाया है. दूसरी तरफ कई सालों के बाद फ़िल्मी पर्दे पर वरुण धवन के चाचा अनिल धवन नजर आए हैं. जिन्हें आपने “हवस” जैसी बहुत सारी फिल्मों में देखा होगा. वो भी उम्दा काम करते दिखते हैं. तब्बू का एक अलग रोल है और राधिका ने भी सहज ही अभिनय किया है.
कलाकारों का अभिनय सर्वश्रेष्ठ है. ये कहानी पियानो प्लेयर की है. आयुष्मान ने प्रोफेशन पियानो प्लेयर का किरदार बखूबी निभाया है. उनको देखकर लगता है कि एक दिव्यांग पियानो प्लेयर कैसा हो सकता है. फ़िल्म के ट्विस्ट टर्न्स इसकी खासियत हैं. कथानक कहीं भी रुकता नहीं है, हालांकि सेकेंड हाफ की शुरुआत में कहानी थोड़ी सी डगमगाती है, लेकिन ओवरऑल फिल्म बहुत ही उम्दा है. इस विधा की फिल्मों को पसंद करने वाले ये फिल्में जरूर देखेंगे.
कमजोर कड़ी
फिल्म का कोई भी गीत रिलीज से पहले हिट नहीं हुआ था. हालांकि वो इस कथानक को परेशान नहीं करता, लेकिन फिर भी गाने अच्छे होते तो दर्शकों में एक अलग तरह का उत्साह होता. दूसरी तरफ मर्डर मिस्ट्री और थ्रिलर फिल्में देखने वाली ख़ास तरह की ऑडियंस है. शायद हर तबके के दर्शकों को फिल्म पसंद न आए. फिल्म का प्रचार भी बहुत ज्यादा नहीं हुआ तो शायद कुछ दर्शकों को फिल्म के बारे में पता नहीं हो. फिल्म का प्रमोशन और भी दमदार किया जा सकता था.
बॉक्स ऑफिस
फिल्म का बजट काफी कम है और वायकॉम की तरफ से इसे अच्छी रिलीज मिलने वाली है. वर्ड ऑफ़ माउथ पहले से ही काफी तगड़ा है. इसकी वजह से ओपनिंग तो कम होगी, लेकिन अंधाधुन का ओपनिंग वीकेंड काफी बड़ा हो सकता है. वर्ड ऑफ़ माउथ इसे काफी फायदा पहुंचा सकता है.