अपोलो 11 अंतरिक्ष मिशन: चांद पर कदम रखने के 50 साल पूरे, गूगल ने डूडल बनाकर किया याद
दुनिया के पहले अंतरिक्ष मिशन अपोलो 11 को पचास साल पूरे हो गए हैं। 20 जुलाई, 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने थे। इस मिशन को मानव इतिहास की सबसे लंबी छलांग माना जाता है। नील के बाद चांद पर कदम रखने वाले दुनिया के दूसरे व्यक्ति बज एल्ड्रिन थे। गुरुवार को इसी खास पल को सिएलट फ्लाइट म्यूजियम में रिक्रिएट किया गया।
- चांद पर कदम रखने के बाद नील ने कुछ खास शब्द कहे थे। उन्होंने कहा था कि ये इंसान का एक छोटा सा कदम है और मानवता की लंबी छलांग है। अपोलो के कुल 11 मिशन हुए थे, जिसमें 33 अंतरिक्ष यात्री गए थे। जिनमें से 27 चांद तक पहुंचे। इनमें से 24 ने चांद का चक्कर लगाया था। लेकिन केवल 12 ही ऐसे थे, जिन्होंने चांद की सतह पर कदम रखा।
करोड़ों लोगों ने लाइव देखा
इस खास और पहले अंतरिक्ष मिशन से चार लाख लोग जुड़े थे और इसे 53 करोड़ लोगों ने लाइव देखा था। नासा ने इस बात का अनुमान लगाया है कि मिशन से चार लाख लोग जुड़े थे, जिनमें अंतरिक्ष यात्रियों के अलावा, मिशन कंट्रोलर, कैटरर, इंजीनियर, ठेकेदार से लेकर वैज्ञानिक, नर्स, डॉक्टर और गणितज्ञ शामिल थे। मिशन को लाइव देखने वाले लोगों की वो संख्या उस वक्त की करीब 15 फीसदी आबादी थी।
एक ही उम्र और धर्म
ये मिशन दुनिया में अभी तक के चंद्रमा मिशन से पूरी तरह अलग है। अपोलो म्यूजियम के संरक्षक टीजेल म्यूर हार्मोनी का कहना है कि इस मिशन के सभी अंतरिक्ष यात्री साल 1930 में पैदा हुए थे। इन सभी को सैन्य ट्रेनिंग दी गई थी, सभी गोरे ईसाई थे और सभी पायलट थे।
सभी की जिंदगी बदल गई
चांद पर दूसरा कदम रखने वाले एल्ड्रिन ने उस ऐतिहासिक पल के किस्से सुनाते हुए कहा कि जो भी लोग चांद पर पहुंचे, उनकी जिंदगी बदल गई। चांद पर कुल 12 लोगों ने कदम रखा था। इनमें से अधिकतर को अपने जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
एल्ड्रिन को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। वो डिप्रेशन में चले गए थे। एक अन्य अंतरिक्ष यात्री ड्यूक के परिवार को उनसे तालमेल बिठाने में काफी परेशानी आई। उनकी शादी टूटने तक की नौबत आ गई थी। चांद पर कदम रखने वाले जीनी सर्नन की शादी टूट गई और एलन बीन कलाकार बन गए।
अफ्रीकी-अमेरिकी महिलाओं की बड़ी भूमिका
इस मिशन की सफलता में महिलाओं ने भी अहम भूमिका निभाई थी। डाटा प्रोसेसिंग और जटिल गणना के काम के लिए नासा ने अफ्रीकी-अमेरिकी गणितज्ञ महिलाओं को नियुक्त किया था। इन महिलाओं को मानव कंप्यूटर के तौर पर नियुक्त किया गया था। इनमें से एक महिला कैथरीन डॉन्स ने अपोलो लूनर मॉडल और कमांड मॉड्यूल के लिए प्रक्षेपण पथ की गणना की थी। इस मिशन में शामिल महिलाओं पर साल 2016 में ‘हिडन फिगर्स’ नाम की फिल्म भी बनी थी।