अन्तर्राष्ट्रीय अदालत में भारत की हुई किरकिरी, पाकिस्तान को जाधव की फांसी का हक़!

हेग। अंतर्राष्ट्रीय अदालत में कुलभूषण जाधव मामले की चल रही बहुचर्चित सुनवाई पूरी हुई। मामले में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बातों को रखा। पाकिस्तानी वकील की दलीले भारत पर भारी पड़ती दिखाई दीं।अन्तर्राष्ट्रीय अदालत में भारत की हुई किरकिरी, पाकिस्तान को जाधव की फांसी का हक़!

पाकिस्तानी सीनियर वकील ख्वार कुरैशी ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए भारत द्वारा किए जा रहे उस दावे को निराधार बताया जिसमें जाधव को जल्द फांसी दी जाने की बात कही गयी थी। साथ ही यह भी कहा कि जाधाव को ईरान से अगवा किए जाने वाली बात में भी दम नहीं है।

कोर्ट में पाकिस्तान की ओर से दावा पेश किया गया कि तमाम दलीलों के बीच भारत ने जाधव की बेगुनाही के कोई भी सबूत नहीं दिए हैं।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने साफ किया था कि काउंसलर एक्सेस  2008 की संधि से तय होगा। इस पक्ष को रखते हुए सवाल किया गया कि आखिर क्यों भारत ने इस बात का भी जवाब नहीं दिया कि 2008 का समझौता जाधव मामले में लागू नहीं होता।

उन्होंने कहा कि जासूसी के मामलों में विएना संधि के प्रावधान लागू नहीं होते। भारत ने जाधव की नागरिकता साबित करने के लिए सबूत नहीं दिये।

उन्होंने यह भी कहा 2008 के भारत-पाक समझौते के बाद भारत, विएना समझौते का हवाला नहीं दे सकता।

उन्होंने अपना पक्ष मजबूती के साथ रखते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने अटलांटिस विमान को गिराने के मामले में भी अधिकार क्षेत्र ना होने की भारतीय दलील मानी थी। इतना ही नही 1974 में भारत ने दूसरे देशों के साथ संधियों से जुड़े मामलों को भी ICJ के अधिकार क्षेत्र से हटाया था।

पाकिस्तानी वकील ने अमेरिका और मेक्सिको के बीच इसी तरह के विवाद का हवाला दिया। कहा, इसीलिए भारत की अर्जी में जाधव के पास मौजूद दया याचिका के विकल्प को नजरअंदाज किया गया

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उन्होंने कहा फोन पर बातचीत के सबूत बताते हैं कि जाधव भारत में अधिकारियों से संपर्क में था। भारत के काउंसलर एक्सेस के अनुरोध से पहले फिल्माया गया था कबूलनामे का कथित वीडियो।

जाधव के खिलाफ जांच में भारत ने सहयोग नहीं किया, ये 9/11 के बाद पारित यूएन के प्रस्ताव का उल्लंघन था। इसलिए 2008 की द्विपक्षीय संधि के मुताबिक पाकिस्तान को जाधव पर फैसले का हक है।

इससे पहले भारत की पैरवी करते हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने फांसी की सजा पर फौरन रोक की मांग की। उन्होंने कहा कि अदालत जाधव को सुनाई गई सजा को विएना संधि के खिलाफ करार दे।

साल्वे ने अदालत को बताया कि कई बार अनुरोध के बावजूद भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को जाधव से मिलने की इजाजत नहीं दी गई।

उनका आरोप था कि जाधव को सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला। उन्होंने आशंका जताई की मामले में कानूनी प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही पाकिस्तान जाधव को फांसी दे सकता है।

साल्वे ने दावा किया कि जाधव के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं और पाकिस्तान ने महज उनके कथित कबूलनामे के आधार पर फांसी की सजा सुनाई है।

मुंबई के रहने वाले कुलभूषण जाधव को अप्रैल महीने में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।

पाकिस्तान का आरोप है कि जाधव भारतीय नेवी के कमांडर हैं और ईरान में झूठी पहचान बनाकर पाकिस्तान के भीतर दहशतगर्दी फैला रहे थे।

वहीं, भारत का कहना है कि जाधव नौसेना से रिटायर हो चुके हैं और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने उन्हें ईरान से अगवा किया है।

केंद्र सरकार ने 8 मई को जाधव की फांसी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए भारत की ओर से दावा किया गया था कि कबूलनामे वाली वीडियो से छेड़छाड़ की गई। जाधव पर दबाव बनाकर बयान दर्ज किया गया। ICJ पाकिस्तानी सैन्य कोर्ट का फैसला रद्द करे। जाधव को ईरान से अगवा किया गया। भारत जाधव पर लगे सभी आरोपों को खारिज करता है। भारत ने 16 बार राजनयिक मदद की गुहार लगाई। ICJ पर हमें पूरा भरोसा है।

अपनी बातों में साल्वे ने यह भी कहा कि तथाकथित सुनवाई में कोई सबूत नहीं दिया गया। पाकिस्तान ने भारत की गुहार पर प्रतिक्रिया नहीं दी। जाधव के माता-पिता को पाकिस्तान का वीजा नहीं दिया गया।

संधि का हवाला देते हुए कहा गया था कि आरोपी को राजनयिक मदद मिलने का अधिकार है। ये नागरिक और देश के अधिकार का उल्लंघन है। पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आनन-फानन में जो फैसला सुनाया है, उसे वो रद्द करे। जाधव की फांसी मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

 
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