विमहंस (VIMHANS) में क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट डॉ.नीतू राणा कहती हैं कि आम तौर पर ऊपर बताई गई भावनाएं लोगों में उस वक्त भी देखने को मिलती हैं जब वो प्यार में होते हैं लेकिन जब ये भावनाएं असामान्य रूप से बढ़ जाएं तो मुमकिन है कि शख्स ‘ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर’ से गुजर रहा हो।
क्यों होता है ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर?
पेशे से साइकोथेरेपिस्ट डॉ. शिखा के अनुसार इसकी कई वजहें हो सकती हैं।वो बताती हैं कि ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की कोई एक ही वजह हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार इसका सम्बन्ध ये दूसरी मानसिक तकलीफों से भी होता है।” मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ ऐसी समस्याएं जो ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की वजह बन सकती हैं:
अटैचमेंट डिसऑर्डर – इसकी वजह से लोगों में अपनी भावनाओं और किसी से जुड़ाव को काबू करने में परेशानी होती है। कई बार वो दूसरों से जरूरत से ज्यादा दूर हो जाते हैं और कई बार दूसरों पर जरूरत से ज्यादा निर्भर। ऐसा बचपन या किशोरवास्था के बुरे पारिवारिक रिश्तों या कड़वे अनुभवों की वजह से भी हो सकता है।
बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर – इसे ‘इमोशनली अनस्टेबल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर’ भी कहा जाता है। इसकी वजह से लोग अपनी भावनाओं को समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। उनमें रिश्तों को लेकर डर और असुरक्षा की भावना भी होता है। बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जूझ रहे शख्स को ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर होने की आशंका बढ़ जाती है।
इरोटोमेनिया – इरोटोमेनिया से ग्रसित शख्स को ऐसा भ्रम (डिल्यूज़न) होता है कि दूसरा शख्स उससे प्यार करता है, जबकि असल में ऐसा नहीं होता।इरोटोमेनिया की वजह से भी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ जाता है।