अगले साल से आधुनिक पटरी पर रफ्तार भरेगी रेलवे टिकटिंग प्रणाली

रेलवे में टिकट बुकिंग प्रणाली में अगले साल बड़ा बदलाव होने जा रहा है। मौजूदा समय में जहां एक मिनट में 25,000 टिकट की ही बुकिंग हो सकती है, वहीं कुछ माह बाद सवा लाख टिकटों तक बुकिंग हो पाएगी। रेलवे की यह नई प्रणाली स्मार्ट, पारदर्शी, बहुभाषी और यात्री-केंद्रित होगी। इससे टिकट बुकिंग में लगने वाला समय घटेगा और वेबसाइट या एप क्रैश होने की समस्या समाप्त हो जाएगी।

नई प्रणाली को रेल सूचना केंद्र प्रणाली (क्रिस) की तरफ से विकसित किया जा रहा है। इस नई व्यवस्था को माॅर्डन यात्री आरक्षण प्रणाली कहा गया है। बताया जा रहा है कि इस व्यवस्था को अगले साल से लागू कर दिया जाएगा।

रेलवे में आरक्षण प्रणाली 1995 में लागू की गई थी। मौजूदा समय की तुलना में उस समय तकनीक उतनी विकसित नहीं थी लेकिन अब तकनीक काफी बेहतर हो चुकी है। ऐसे में नई व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही थी। पुरानी व्यवस्था के तहत एक मिनट में सिर्फ 25,000 टिकट ही बुक किए जा सकते हैं। ऐसे में 25,000 से अधिक संख्या होने पर तकनीकी दिक्कतें आती हैं। इस संख्या को सवा लाख करने से तकनीकी परेशानी दूर होगी। अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम इस तरह से विकसित किया गया है कि इसे सवा लाख से भी अधिक बढ़ाया जा सकता है।

सूत्रों ने बताया कि वर्तमान यात्री आरक्षण प्रणाली इटेनियम सर्वर और ओपन वीएमएस पर आधारित है। यह तकनीकी रूप से पुराना हो चुका है। इस ढांचे को अब आधुनिक क्लाउड-आधारित प्रणाली में बदला जाएगा। यह बदलाव रेलवे के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को भविष्य के लिए तैयार करेगा।

तत्काल टिकट लेने वालों को मिलेगी अधिक राहत
नई व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यात्रियों को तत्काल टिकट बुकिंग में मिलेगा। माॅर्डन यात्री आरक्षण प्रणाली से वेबसाइट की गति 5 गुना तेज होगी, सर्वर लोड संतुलित रहेगा, लॉगिन आधार से सत्यापित होगा और एक मिनट में सवा लाख टिकट बुक करने की क्षमता से तत्काल टिकट बुक करने वाले यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिलने की संभावना पहले की तुलना में कई गुना अधिक होगी। मौजूदा समय में टिकट खुलते ही वेबसाइट स्लो हो जाती थी, भुगतान अटकने समेत कई तरह की तकनीकी परेशानियां सामने आती हैं।

सर्वर पर लोड होगा कम
नई क्लाउड-आधारित टिकट प्रणाली में पीएनआर और सीट उपलब्धता चेक करने की क्षमता भी कई गुना बढ़ाई जा रही है। अभी जहां एक मिनट में औसतन चार लाख पूछताछ की जा सकती है, वहीं नई प्रणाली में यह संख्या 40 लाख प्रति मिनट तक पहुंच जाएगी। इससे यात्रियों को वेबसाइट या ऐप पर सीट स्थिति, ट्रेन टाइमिंग और किराया संबंधी जानकारी बिना किसी विलंब के तुरंत मिल सकेगी। सर्वर पर लोड कम होगा और सिस्टम हैंग होने की समस्या लगभग खत्म हो जाएगी।

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