महाराष्ट्र में बीजेपी का बाल ठाकरे का फॉर्मूला, अगर शिवसेना मानी तो..

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच सियासी संग्राम जारी है. ऐसे में बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने सरकार गठन के लिए बालासाहेब ठाकरे का 1995 का फॉर्मूला सुझाया है. इसके तहत अधिक सीटें पाने वाले दल का मुख्यमंत्री और कम सीटें पाने वाले दल का उपमुख्यमंत्री बना था. ऐसे में सवाल उठता है कि शिवसेना ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले को छोड़कर, क्या 24 साल पुराने फॉर्मूल को स्वीकार करेगी?

क्या था 1995 का फॉर्मूला?

महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना ने पहली बार 1990 में औपचारिक तौर पर गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. इसके बाद दूसरी बार 1995 में बीजेपी-शिवसेना ने मिलकर चुनावी किस्मत आजमाया था. महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के शिल्पकार कहे जाने वाले बीजेपी नेता प्रमोद महाजन और शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे के बीच यह तय हुआ था कि बीजेपी केंद्र की राजनीति करेगी और शिवसेना राज्य की सियासत में रहेगी.

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ज्यादा सीटें जीतने वाले का सीएम

इसके साथ ही यह भी तय हुआ था कि महाराष्ट्र में जिसकी सीटें अधिक आएंगी, उसका मुख्यमंत्री बनेगा और जिसकी सीटें कम होंगी, उसका उपमुख्यमंत्री. शिवसेना 169 सीटों पर चुनाव लड़कर 73 सीटें और बीजेपी 116 पर लड़कर 65 सीटें जीतने में कामयाब रही थीं. ऐसे में गठबंधन की शर्त के अनुसार शिवसेना को मुख्यमंत्री और बीजेपी को उपमुख्यमंत्री का पद मिला था. साथ ही उस समय गृह, राजस्व और पीडब्ल्यूडी जैसे प्रमुख मंत्रालय भी बीजेपी को मिले थे. इस तरह बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर पांच साल सरकार चलाया.

शिवसेना क्या 1995 के फॉर्मूल पर होगी राजी?

दरअसल इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं. शिवसेना चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है, तो बीजेपी 15 निर्दलीय विधायकों के साथ होने का दम दिखा रही है. महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है., उससे पहले नई सरकार का गठन होना है.

महाराष्ट्र 50-50 के फार्मूले के साथ ढाई साल के मुख्यमंत्री की मांग करने वाली शिवसेना क्या 1995 के फॉर्मूले पर राजी होगी. इसके तहत बीजेपी का सीएम और शिवसेना डिप्टी सीएम के साथ गृह, राजस्व और पीडब्ल्यूडी जैसे मंत्रालय के साथ सरकार बनाने के लिए सहमत होगी.

हालांकि 2014 में बीजेपी से अलग होकर लड़ी शिवसेना सरकार बनने के एक माह बाद सरकार में शामिल तो हो गई थी, लेकिन उसके हिस्से पीडब्ल्यूडी छोड़कर कोई प्रमुख मंत्रालय नहीं आया. यहां तक कि केंद्र सरकार में 2014 में भी उसे सिर्फ एक भारी उद्योग मंत्रालय मिला था, और इस बार उसे सिर्फ इसी एक मंत्रालय से अब तक संतोष करना पड़ रहा है. ऐसे में महाराष्ट्र की सियासत में प्रमुख कड़ी बनकर उभरी शिवसेना केंद्र और राज्य दोनों जगह हिसाब बराबर करना चाहती है. ऐसे में 1995 के फॉर्मूले पर शिवसेना राजी होगी.

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