बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी JDU से शरद यादव की जल्द होगी विदाई

पटना: गुजरात और बिहार में भले भौगोलिक दूरी काफी हो लेकिन हाल के वर्षों में दोनों राज्यों में होने वाले राजनीतिक उठा-पठक का असर एक दूसरे राज्य पर काफी पड़ता है. मंगलवार को गुजरात में राज्यसभा चुनाव क्या हुए, इसका खासकर परिणाम का सीधा असर चुनाव बिहार के सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड पर दिखने लगा हैं. अब ये तय माना जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष, नीतीश कुमार, देर-सबेर शरद यादव को बाहर का रास्ता दिखाएंगे.

इसका एक नजारा सबसे पहले तब दिखा जब पार्टी के महासचिव अरुण श्रीवास्तव को इस आधार पर निलंबित कर दिया गया कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष नीतीश कुमार के निर्देश के बाबजूद राज्य सभा चुनाव में अपनी मर्जी से पोलिंग एजेंट बहाल किया. अरुण, शरद के करीबी हैं, ये बात किसी से छिपी नहीं है.

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राज्यसभा चुनाव में नीतीश के अथक प्रयास के बाबजूद छोठू वसावा ने उनकी मर्जी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी उमीदवार अहमद पटेल को वोट दिया. वसावा ने वोट देने के बाद अपनी मन की बात में नीतीश पर भड़ास निकली थी जो निश्चित रूप से ना नीतीश या उनके समर्थकों को अच्छी लगी होगी. नीतीश कुमार के समर्थक मान कर चल रहे हैं कि पार्टी और नीतीश की फजीहत शरद यादव के इशारे पर हो रही है जो अब हर मौके पर पार्टी से अलग राह लेकर अपने खिलाफ कार्रवाई के लिये सबको चुनौती दे रहे हैं.

नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ गठबंधन करने के बाद शरद यादव पहली बार गुरुवार को पटना आ रहे हैं. तीन दिनों तक राज्य के सात जिलों में जनता से सीधा संवाद कार्यक्रम में दो दर्जन से अधिक जगह पर लोगों से मिलेंगे. जनता दल यूनाइटेड के बिहार इकाई के अध्‍यक्ष, वशिष्‍ट नारायण सिंह ने साफ़ कर दिया हैं कि पार्टी का उनके इस कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं हैं. उनके इस पूरे दौरे को पार्टी के खिलाफ बताते हुए वशिष्‍ट नारायण सिंह ने स्पष्‍ट कर दिया है कि उनकी ये गतिविधियां अगर जारी रहीं तब पार्टी भविष्‍य में कोई भी निर्णय ले सकती है. इसका मतलब साफ़ है कि नीतीश ने देर सबेर अब शरद से राजैनतिक सहयोगी का संबंध विच्‍छेद करने का अब मन बना लिया है.

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