जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरियों में 70 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट सख्त

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आरक्षण बिना किसी ठोस आधार या डेटा के दिया गया है, जबकि जिन वर्गों को 70 प्रतिशत आरक्षण मिला है, उनकी जनसंख्या करीब 30 प्रतिशत ही है। ऐसे में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए सिर्फ 30 प्रतिशत पद ही बचते हैं।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षित वर्गों को 70 फीसदी तक आरक्षण देने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को नोटिस जारी किया है। अदालत ने सरकार से इस पर चार हफ्ते के भीतर जवाब तलब किया है।
जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की पीठ ने आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर यह आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आरक्षण बिना किसी ठोस आधार या डेटा के दिया गया है, जबकि जिन वर्गों को 70 प्रतिशत आरक्षण मिला है, उनकी जनसंख्या करीब 30 प्रतिशत ही है। ऐसे में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए सिर्फ 30 प्रतिशत पद ही बचते हैं।
याचिका में जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 की धारा 3, 4, 6, 8 और 9 के अलावा आरक्षण नियम 2005 के कई नियमों को असांविधानिक बताया गया है। इसके साथ ही 2019 से 2024 तक जारी कई सरकारी आदेशों और भर्तियों को भी चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने यह तय करने के लिए कोई नया सर्वे, रिपोर्ट या स्वतंत्र आयोग नहीं बनाया कि किन वर्गों को वास्तव में आरक्षण की जरूरत है। इसके चलते मौजूदा आरक्षण प्रणाली मनमानी और अनुच्छेद 16(4) के खिलाफ बताई गई है।
याचिका में कई भर्ती विज्ञापन और नियुक्तियों को रद्द करने की मांग भी की गई है। इसमें कहा गया है कि जिन नियमों के तहत ये भर्तियां हो रही हैं, वे ही संविधान के खिलाफ हैं और समान अवसर की भावना को ठेस पहुंचाते हैं।
इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि आरक्षित वर्गों में जो क्रीमी लेयर वाले लोग हैं, उन्हें आरक्षण से बाहर किया जाए और एक ही परिवार को सिर्फ एक पीढ़ी तक ही इसका लाभ मिले। उन्होंने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को ओबीसी के रूप में परिभाषित करने और केंद्र सरकार की आरक्षण योजना का लाभ दिलाने की भी मांग की है। याचिका में यह भी कहा गया है कि आरक्षण को तर्कसंगत बनाते हुए उसका अनुपात ऐसा हो जिससे सभी वर्गों को न्याय मिल सके और योग्य युवाओं को बराबरी का अवसर मिले।
जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 की ये धाराएं हैं सवालों के घेरे में
धारा 3: तय करती है कि किन वर्गों को आरक्षण मिलेगा – जैसे एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग आदि। बशर्ते कि आरक्षण का कुल प्रतिशत किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक न हो। इसके अतिरिक्त, सरकार उन सेवाओं और पदों को अधिनियम के प्रभाव से बाहर रखेगी, जो अपनी प्रकृति और कर्तव्यों के कारण उच्चतम स्तर की बुद्धिमत्ता, कौशल और उत्कृष्टता की अपेक्षा रखते हैं
धारा 4: आरक्षण की सीमा और क्षेत्रों (नौकरी, शिक्षा) में इसके इस्तेमाल को परिभाषित करती है
धारा 6: कहती है कि पिछड़े वर्गों के समृद्ध (क्रीमी लेयर) लोग आरक्षण के हकदार नहीं होंगे
धारा 8: गलत जानकारी देकर आरक्षण लेने वालों से लाभ छीनने और कार्रवाई की व्यवस्था करती है
धारा 9: सरकार को नियम बनाने का अधिकार देती है, जिससे आरक्षण की प्रक्रिया तय होती है