क्या मोदी सरकार ने चारधाम की यात्रा के लिए शानदार फोर-लेन की सड़क बना कर तैयार कर दी है?
इस समय सोशल मीडिया पर एक तस्वीर के जरिए ठीक यही दावा किया जा रहा है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा सरासर गलत है. जिस शानदार सड़क को चारधाम का रास्ता बताया जा रहा है वो भारत की नहीं बल्कि मोरक्को की तस्वीर है.
16 अप्रैल को राघव वार्ष्णेय नाम के एक फेसबुक यूज़र ने इस फोटो को शेयर किया जिसमें एक ऐसी शानदार सड़क दिख रही है, जिसमें एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ पानी का किनारा दिखाई दे रहा है.
इस फोटो का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
वायरल फोटो के कैप्शन में लिखा गया “स्विट्जरलैंड नहीं बल्कि हिंदुस्तान के उत्तराखंड में चारधाम यात्रा करने के लिए बनाया फोर लेन मार्ग है, सच ही तो है, मोदी ने किया ही क्या है”.
फेसबुक पर डाली गई इस फोटो को खबर लिखे जाने तक1100 से भी ज़्यादा लोग शेयर कर चुके हैं और 250 लोगों ने इसपर कमेंट भी कर चुके हैं.
फोटो को देख कर पहली ही नजर में शक होता है कि ये चारधाम की सड़क नहीं हो सकती क्योंकि सड़क के किनारे समुद्र जैसा किनारा दिख रहा है. फोटो में ये भी देखा जा सकता है कि इस सड़क पर सभी गाड़ियां सड़क के दाहिनी तरफ चल रही हैं जबकि भारत में गाड़ियां बायीं तरफ चलती हैं.
गूगल रिवर्स इमेज सर्च में हमने देखा कि हूबहू इसी फोटो को, जिसमें नीचे बायीं तरफ Gharbaoui का नाम लिखा है, तमाम लोगों ने अगल अगल तरह के इस्तेमाल किया है. यही फोटो हमें कई ऐसे लोगों के फेसबुक और ट्वविटर पर मिली जो उत्तरी अफ्रीका के देश मोरक्को के रहने वाले है.
रिवर्स सर्च के माध्यम से हमें पिनटरेस्ट पर एक फोटो मिली जिसमें दावा किया गया कि यह फोटो मोरोक्को के शहर तैंजियर की है. हमने इसके बाद गूगल अर्थ प्रो पर तैंजियर शहर की सैटेलाइट फुटेज देखी और हम उसके जैसी हूबहू दिखने वाली सड़क तक तक पहुंच गए.
मैप में और वायरल फोटो में दिख रही सड़क के लगभग सभी चिन्ह मेल खा रहे हैं. एक जैसे मोड़, फुटपाथ, पत्थर, स्ट्रीट लाइट की परछाई, सब कुछ फोटो जैसे ही दिखाई पड़ रहे हैं.
मशहूर ट्रेवल वेबसाइट Tripadvisor पर तैंजियर इलाके की तस्वीरें खोजने पर हमें मालूम चला कि यह फोटो इसी सड़क की है. इस फोटो को ”तैंजियर ट्रिप्स”नाम के एक यूज़र ने ट्रिपएडवाइजर पर इसी महीने अपलोड किया है.
चार धाम सड़क मार्ग प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में लॉन्च किया था. 2018 में इसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा हरी झंडी दिखाई गई. लेकिन प्रोजेक्ट के विवरण से पता चलता है कि इन सड़कों का निर्माण दो लेन में ही होगा चार लेन में नहीं. इन तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस सड़क को चारधाम का बताना सरासर गलत है.